नागार्जुन: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<ol class="HindiText"> | |||
<li> एक बौद्ध विद्वान् । इनके सिद्धान्तों का समन्तभद्र स्वामी (वि.श.२-३) ने बहुत खण्डन किया है, अत: आप उनसे भी पहले हुए हैं। (र.क.श्रा./प्र.८/पं.परमानन्द) </li> | |||
<li> आप आ-पूज्यपाद की कमलनी नामक छोटी बहन जो गुणभट्ट नामक ब्राह्मण के साथ परणी थी, उसके गर्भ से उत्पन्न हुए थे। आ.पूज्यपाद स्वामी ने इनको पद्मावती देवी का एक मंत्र दिया था, जिसे सिद्ध करके इन्होंने स्वर्ण बनाने की विद्या प्राप्त की थी। पद्मावती देवी के कहने से इसने एक जिनमन्दिर भी बनवाया था। समय–पूज्यपाद से मिलान करने पर इनका समय लगभग वि.४८१ (ई०४२४) आता है। (स.सि./प्र.८४/पं.नाथूराम प्रेमी के लेख से उद्धृत) </li> | |||
</ol> | |||
[[नागहस्ती | Previous Page]] | |||
[[नाग्न्य | Next Page]] | |||
[[Category:न]] | |||
Revision as of 17:16, 25 December 2013
- एक बौद्ध विद्वान् । इनके सिद्धान्तों का समन्तभद्र स्वामी (वि.श.२-३) ने बहुत खण्डन किया है, अत: आप उनसे भी पहले हुए हैं। (र.क.श्रा./प्र.८/पं.परमानन्द)
- आप आ-पूज्यपाद की कमलनी नामक छोटी बहन जो गुणभट्ट नामक ब्राह्मण के साथ परणी थी, उसके गर्भ से उत्पन्न हुए थे। आ.पूज्यपाद स्वामी ने इनको पद्मावती देवी का एक मंत्र दिया था, जिसे सिद्ध करके इन्होंने स्वर्ण बनाने की विद्या प्राप्त की थी। पद्मावती देवी के कहने से इसने एक जिनमन्दिर भी बनवाया था। समय–पूज्यपाद से मिलान करने पर इनका समय लगभग वि.४८१ (ई०४२४) आता है। (स.सि./प्र.८४/पं.नाथूराम प्रेमी के लेख से उद्धृत)