अतिरथ: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) धातकीखंड द्वीप में पूर्व मेरु पर्वत से पूर्व की ओर स्थित विदेह क्षेत्र में पुष्पकलावती देश की पुंडरीकिणी नगरी के राजा रतिषेण के पुत्र थे । रतिषेण ने इन्हें ही राज्यभार सौंपकर दीक्षा ग्रहण की थी । <span class="GRef"> महापुराण 51. 2-3, 12 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) धातकीखंड द्वीप में पूर्व मेरु पर्वत से पूर्व की ओर स्थित विदेह क्षेत्र में पुष्पकलावती देश की पुंडरीकिणी नगरी के राजा रतिषेण के पुत्र थे । रतिषेण ने इन्हें ही राज्यभार सौंपकर दीक्षा ग्रहण की थी । <span class="GRef"> महापुराण 51. 2-3, 12 </span></p> | ||
<p id="2">(2) एक प्रकार के योद्धा । ये रथ में बैठे हुए युद्ध करते हैं । यादवों में नेमि, बलदेव और कृष्ण तीनों ऐसे ही योद्धा थे । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 50.77 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) एक प्रकार के योद्धा । ये रथ में बैठे हुए युद्ध करते हैं । यादवों में नेमि, बलदेव और कृष्ण तीनों ऐसे ही योद्धा थे । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_50#77|हरिवंशपुराण - 50.77]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 14:39, 27 November 2023
(1) धातकीखंड द्वीप में पूर्व मेरु पर्वत से पूर्व की ओर स्थित विदेह क्षेत्र में पुष्पकलावती देश की पुंडरीकिणी नगरी के राजा रतिषेण के पुत्र थे । रतिषेण ने इन्हें ही राज्यभार सौंपकर दीक्षा ग्रहण की थी । महापुराण 51. 2-3, 12
(2) एक प्रकार के योद्धा । ये रथ में बैठे हुए युद्ध करते हैं । यादवों में नेमि, बलदेव और कृष्ण तीनों ऐसे ही योद्धा थे । हरिवंशपुराण - 50.77