अनीकपालक: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> वसुदेव और देवकी का चौथा पुत्र । इसका पालन सुदृष्टि सेठ ने किया था । इसकी बत्तीस स्त्रियां थी । अरिष्टनेमि के समवसरण में जाकर और उनसे धर्मोपदेश सुनकर यह दीक्षित हो गया था । इसकी मुक्ति गिरिनार पर्वत पर हुई थी । <span class="GRef"> महापुराण 71.293-296, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 33.170, 59.115-120, 65. | <div class="HindiText"> <p> वसुदेव और देवकी का चौथा पुत्र । इसका पालन सुदृष्टि सेठ ने किया था । इसकी बत्तीस स्त्रियां थी । अरिष्टनेमि के समवसरण में जाकर और उनसे धर्मोपदेश सुनकर यह दीक्षित हो गया था । इसकी मुक्ति गिरिनार पर्वत पर हुई थी । <span class="GRef"> महापुराण 71.293-296, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_33#170|हरिवंशपुराण - 33.170]], [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_59#115|हरिवंशपुराण - 59.115-120]], [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_65#16|हरिवंशपुराण - 65.116-19]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 14:39, 27 November 2023
वसुदेव और देवकी का चौथा पुत्र । इसका पालन सुदृष्टि सेठ ने किया था । इसकी बत्तीस स्त्रियां थी । अरिष्टनेमि के समवसरण में जाकर और उनसे धर्मोपदेश सुनकर यह दीक्षित हो गया था । इसकी मुक्ति गिरिनार पर्वत पर हुई थी । महापुराण 71.293-296, हरिवंशपुराण - 33.170, हरिवंशपुराण - 59.115-120, हरिवंशपुराण - 65.116-19