आष्टाह्निक: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> इस लोक और परलोक के अभ्युदय को देने वाली अर्हत् पूजा के चार भेदों में एक भेद । ये चार भेद हैं― सदार्चन, चतुर्मुख, कल्पद्रुम और आष्टाह्निक । इसमें नंदीश्वर द्वीप संबंधी बावन जिनालयों की पूजा की जाती है तथा यह पूजा कानून, कार्तिक और आषाढ़ के अंतिम आठ दिनों में होती है । <span class="GRef"> महापुराण 38.26, 54.50, 70.7-8, 22 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> इस लोक और परलोक के अभ्युदय को देने वाली अर्हत् पूजा के चार भेदों में एक भेद । ये चार भेद हैं― सदार्चन, चतुर्मुख, कल्पद्रुम और आष्टाह्निक । इसमें नंदीश्वर द्वीप संबंधी बावन जिनालयों की पूजा की जाती है तथा यह पूजा कानून, कार्तिक और आषाढ़ के अंतिम आठ दिनों में होती है । <span class="GRef"> महापुराण 38.26, 54.50, 70.7-8, 22 </span></p> | ||
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Latest revision as of 14:40, 27 November 2023
इस लोक और परलोक के अभ्युदय को देने वाली अर्हत् पूजा के चार भेदों में एक भेद । ये चार भेद हैं― सदार्चन, चतुर्मुख, कल्पद्रुम और आष्टाह्निक । इसमें नंदीश्वर द्वीप संबंधी बावन जिनालयों की पूजा की जाती है तथा यह पूजा कानून, कार्तिक और आषाढ़ के अंतिम आठ दिनों में होती है । महापुराण 38.26, 54.50, 70.7-8, 22