निर्मूढ: Difference between revisions
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नि.सा./ता.वृ./४३ <span class="SanskritText">सहजनिश्चयबलेन सहजज्ञानसहजदर्शनसहजचारित्रसहजपरमवीतरागसुखाद्यनेकपरमधर्माधारनिजपरमतत्त्वपरिच्छेदनसमर्थत्वान्निर्मूढ:, अथवा साद्यनिधनामूर्तातीन्द्रियस्वभावशुद्धसद्भूतव्यवहारनयबलेन त्रिकालत्रिलोकवर्तिस्थावरजंगमात्मकनिखिलद्रव्यगुणपर्यायैकसमयपरिच्छित्तिसमर्थसकलविमलकेवलज्ञानावस्थत्वान्निर्मुढश्च।</span> =<span class="HindiText">सहज निश्चयनय से सहजज्ञान-दर्शन-चारित्र और परमवीतराग सुख आदि अनेक धर्मों के आधारभूत निज परमतत्त्व को जानने में समर्थ होने से आत्मा निर्मूढ़ है। अथवा सादि अनन्त अमूर्त अतीन्द्रिय स्वभाववाले शुद्धसद्भूत व्यवहारनय से तीन काल और तीन लोक के स्थावर जंगमस्वरूप समस्त द्रव्यगुण-पर्याय को एक समय में जानने में समर्थ सकल विमल केवलज्ञानरूप से अवस्थित होने से आत्मा निर्मूढ़ है। </span> | |||
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Revision as of 17:16, 25 December 2013
नि.सा./ता.वृ./४३ सहजनिश्चयबलेन सहजज्ञानसहजदर्शनसहजचारित्रसहजपरमवीतरागसुखाद्यनेकपरमधर्माधारनिजपरमतत्त्वपरिच्छेदनसमर्थत्वान्निर्मूढ:, अथवा साद्यनिधनामूर्तातीन्द्रियस्वभावशुद्धसद्भूतव्यवहारनयबलेन त्रिकालत्रिलोकवर्तिस्थावरजंगमात्मकनिखिलद्रव्यगुणपर्यायैकसमयपरिच्छित्तिसमर्थसकलविमलकेवलज्ञानावस्थत्वान्निर्मुढश्च। =सहज निश्चयनय से सहजज्ञान-दर्शन-चारित्र और परमवीतराग सुख आदि अनेक धर्मों के आधारभूत निज परमतत्त्व को जानने में समर्थ होने से आत्मा निर्मूढ़ है। अथवा सादि अनन्त अमूर्त अतीन्द्रिय स्वभाववाले शुद्धसद्भूत व्यवहारनय से तीन काल और तीन लोक के स्थावर जंगमस्वरूप समस्त द्रव्यगुण-पर्याय को एक समय में जानने में समर्थ सकल विमल केवलज्ञानरूप से अवस्थित होने से आत्मा निर्मूढ़ है।