क्रियाविशाल: Difference between revisions
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<span class="HindiText"> चौदह पूर्वों में तेरहवाँ पूर्व । इसके नौ करोड़ पदों में छंद : शास्त्र, व्याकरणशास्त्र तथा शिल्पकला आदि के अनेक गुणों का वर्णन है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 2.97-100, 10. 120 </span> | <span class="HindiText"> चौदह पूर्वों में तेरहवाँ पूर्व । इसके नौ करोड़ पदों में छंद : शास्त्र, व्याकरणशास्त्र तथा शिल्पकला आदि के अनेक गुणों का वर्णन है । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_2#97|हरिवंशपुराण - 2.97-100]], [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_10#120|10.120]]</span> | ||
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Latest revision as of 14:41, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
सर्वार्थसिद्धि/1/20/123/6 तत्र पूर्वगतं चतुर्दशविधम् उत्पादपूर्वं, आग्रायणीयं, वीर्यानुप्रवादं अस्तिनास्तिप्रवादं ज्ञानप्रवादं सत्यप्रवादं आत्मप्रवादं कर्मप्रवादं प्रत्याख्याननामधेयं विद्यानुप्रवादं कल्याणनामधेयं प्राणावायं क्रियाविशालं लोकबिंदुसारमिति। =पूर्वगत के चौदह भेद हैं उत्पादपूर्व, अग्रायणीय, वीर्यानुवाद, अस्तिनास्ति प्रवाद, ज्ञानप्रवाद, सत्यप्रवाद, आत्मप्रवाद, कर्मप्रवाद, प्रत्याख्याननामधेय, विद्यानुवाद, कल्याणनामधेय, प्राणावाय, क्रियाविशाल, और लोकबिंदुसार।
द्रव्य श्रुतज्ञान का 22 वाँ पूर्व–देखें श्रुतज्ञान - III
पुराणकोष से
चौदह पूर्वों में तेरहवाँ पूर्व । इसके नौ करोड़ पदों में छंद : शास्त्र, व्याकरणशास्त्र तथा शिल्पकला आदि के अनेक गुणों का वर्णन है । हरिवंशपुराण - 2.97-100, 10.120