खंडप्रपात: Difference between revisions
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<span class="HindiText"> (1) भरतक्षेत्रस्थ विजयार्ध पर्वत के नौ कूटों में तीसरा कूट । इसका विस्तार मूल में सवा छ: योजन, मध्य में कुछ कम पाँच योजन और ऊपर कुछ अधिक तीन योजन है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5. 26, 29 </span></br>(2) ऐरावत <span class="HindiText">क्षेत्रस्थ विजयार्ध पर्वत के नौ कूटों में सातवाँ कूट । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.111 </span> | <span class="HindiText"> (1) भरतक्षेत्रस्थ विजयार्ध पर्वत के नौ कूटों में तीसरा कूट । इसका विस्तार मूल में सवा छ: योजन, मध्य में कुछ कम पाँच योजन और ऊपर कुछ अधिक तीन योजन है । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#26|हरिवंशपुराण - 5.26]], 29 </span></br>(2) ऐरावत <span class="HindiText">क्षेत्रस्थ विजयार्ध पर्वत के नौ कूटों में सातवाँ कूट । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#111|हरिवंशपुराण - 5.111]] </span> | ||
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Latest revision as of 14:41, 27 November 2023
(1) भरतक्षेत्रस्थ विजयार्ध पर्वत के नौ कूटों में तीसरा कूट । इसका विस्तार मूल में सवा छ: योजन, मध्य में कुछ कम पाँच योजन और ऊपर कुछ अधिक तीन योजन है । हरिवंशपुराण - 5.26, 29
(2) ऐरावत क्षेत्रस्थ विजयार्ध पर्वत के नौ कूटों में सातवाँ कूट । हरिवंशपुराण - 5.111