गोत्रकर्म: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> उच्च और नीच कुल में पैदा करने वाला और उच्च और नीच व्यवहार का कारण कर्म । इसकी उत्कष्ट स्थिति बीस सागर और जघन्य स्थिति आठ मुहूर्त होती है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 3. 98, 58.218, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 16.157-159 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> उच्च और नीच कुल में पैदा करने वाला और उच्च और नीच व्यवहार का कारण कर्म । इसकी उत्कष्ट स्थिति बीस सागर और जघन्य स्थिति आठ मुहूर्त होती है । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_3#98|हरिवंशपुराण - 3.98]], 58.218, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 16.157-159 </span></p> | ||
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Revision as of 14:41, 27 November 2023
उच्च और नीच कुल में पैदा करने वाला और उच्च और नीच व्यवहार का कारण कर्म । इसकी उत्कष्ट स्थिति बीस सागर और जघन्य स्थिति आठ मुहूर्त होती है । हरिवंशपुराण - 3.98, 58.218, वीरवर्द्धमान चरित्र 16.157-159