जयांगण: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> समवसरण की वापिकाओं के आगे का रमणीक स्थान । यह एक कोस लंबा और एक योजन चौड़ा है । इसकी भूमि रत्नचूर्ण से निर्मित है । यहाँ अनेक भवन और मंडप है । मंडपों में अनेक कथानकों के चित्र है । इसके मध्य में सुवर्णमय पीठ पर इंद्रध्वज लहराता है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 75.75-85 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> समवसरण की वापिकाओं के आगे का रमणीक स्थान । यह एक कोस लंबा और एक योजन चौड़ा है । इसकी भूमि रत्नचूर्ण से निर्मित है । यहाँ अनेक भवन और मंडप है । मंडपों में अनेक कथानकों के चित्र है । इसके मध्य में सुवर्णमय पीठ पर इंद्रध्वज लहराता है । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_75#75|हरिवंशपुराण - 75.75-85]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:10, 27 November 2023
समवसरण की वापिकाओं के आगे का रमणीक स्थान । यह एक कोस लंबा और एक योजन चौड़ा है । इसकी भूमि रत्नचूर्ण से निर्मित है । यहाँ अनेक भवन और मंडप है । मंडपों में अनेक कथानकों के चित्र है । इसके मध्य में सुवर्णमय पीठ पर इंद्रध्वज लहराता है । हरिवंशपुराण - 75.75-85