पात्रत्य: Difference between revisions
From जैनकोष
Jagrti jain (talk | contribs) mNo edit summary |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<div class="HindiText"> <p> उपासकाध्ययन-सूत्र में कथित द्विज के दस अधिकारों में चतुर्थ अधिकार । गुणों का गौरव ही पात्रता है । <span class="GRef"> महापुराण 40. 105, 173-175, </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> उपासकाध्ययन-सूत्र में कथित द्विज के दस अधिकारों में चतुर्थ अधिकार । गुणों का गौरव ही पात्रता है । <span class="GRef"> महापुराण 40. 105, 173-175, </span></p> | ||
</div> | </div> | ||
Latest revision as of 15:15, 27 November 2023
उपासकाध्ययन-सूत्र में कथित द्विज के दस अधिकारों में चतुर्थ अधिकार । गुणों का गौरव ही पात्रता है । महापुराण 40. 105, 173-175,