प्रभासकुंद: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<div class="HindiText"> <p> कुशध्वज ब्राह्मण और उसकी भार्या सावित्री का पुत्र यह राष्ट्र का जीव था । (देखें [[ शंभु ]]) इसने विचित्रसेन मुनि के पास दीक्षा लेकर तपश्चरण किया था । मरण काल में कनकप्रभ विद्याधर की विभूति देखकर इसने वैसा ही बनने का निदान किया था और निदान वश यह मरकर सनत्कुमार स्वर्ग में देव हुआ था । वहाँ से च्युत होकर यह लंका नगरी में रत्नश्रवा और उनकी रानी केकसी के रावण नाम का पुत्र हुआ । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_106#155|पद्मपुराण - 106.155-171]] </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> कुशध्वज ब्राह्मण और उसकी भार्या सावित्री का पुत्र यह राष्ट्र का जीव था । (देखें [[ शंभु ]]) इसने विचित्रसेन मुनि के पास दीक्षा लेकर तपश्चरण किया था । मरण काल में कनकप्रभ विद्याधर की विभूति देखकर इसने वैसा ही बनने का निदान किया था और निदान वश यह मरकर सनत्कुमार स्वर्ग में देव हुआ था । वहाँ से च्युत होकर यह लंका नगरी में रत्नश्रवा और उनकी रानी केकसी के रावण नाम का पुत्र हुआ । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_106#155|पद्मपुराण - 106.155-171]] </span></p> | ||
</div> | </div> | ||
Latest revision as of 15:15, 27 November 2023
कुशध्वज ब्राह्मण और उसकी भार्या सावित्री का पुत्र यह राष्ट्र का जीव था । (देखें शंभु ) इसने विचित्रसेन मुनि के पास दीक्षा लेकर तपश्चरण किया था । मरण काल में कनकप्रभ विद्याधर की विभूति देखकर इसने वैसा ही बनने का निदान किया था और निदान वश यह मरकर सनत्कुमार स्वर्ग में देव हुआ था । वहाँ से च्युत होकर यह लंका नगरी में रत्नश्रवा और उनकी रानी केकसी के रावण नाम का पुत्र हुआ । पद्मपुराण - 106.155-171