भोगोपभोगसंख्यान: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> त्रिविध गुणव्रतों में एक गुणव्रत । इसमें भोग और उपभोग को वस्तुओं का परिमाण किया जाता है । इंद्रिय-विषयों को जीतने के लिए ऐसा करना आवश्यक है । इसके पाँच अतिचार हैं—1. सचित्ताहार 2. सचित्तसंबंधाहार 3. सचित्तसन्मिश्राहार 4. अभिषवाहार 5. दुष्पक्वाहार । इसका दूसरा नाम (भोगोपभोगपरिमाण) उपभोग-परिभोग परिमाणव्रत है । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_14#198|पद्मपुराण - 14.198]] </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 58. 182, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 18.51 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> त्रिविध गुणव्रतों में एक गुणव्रत । इसमें भोग और उपभोग को वस्तुओं का परिमाण किया जाता है । इंद्रिय-विषयों को जीतने के लिए ऐसा करना आवश्यक है । इसके पाँच अतिचार हैं—1. सचित्ताहार 2. सचित्तसंबंधाहार 3. सचित्तसन्मिश्राहार 4. अभिषवाहार 5. दुष्पक्वाहार । इसका दूसरा नाम (भोगोपभोगपरिमाण) उपभोग-परिभोग परिमाणव्रत है । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_14#198|पद्मपुराण - 14.198]] </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_58#182|हरिवंशपुराण - 58.182]], </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 18.51 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:20, 27 November 2023
त्रिविध गुणव्रतों में एक गुणव्रत । इसमें भोग और उपभोग को वस्तुओं का परिमाण किया जाता है । इंद्रिय-विषयों को जीतने के लिए ऐसा करना आवश्यक है । इसके पाँच अतिचार हैं—1. सचित्ताहार 2. सचित्तसंबंधाहार 3. सचित्तसन्मिश्राहार 4. अभिषवाहार 5. दुष्पक्वाहार । इसका दूसरा नाम (भोगोपभोगपरिमाण) उपभोग-परिभोग परिमाणव्रत है । पद्मपुराण - 14.198 हरिवंशपुराण - 58.182, वीरवर्द्धमान चरित्र 18.51