महोदधिकुमार: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> एक भवनवासी देव । पूर्वभव में यह एक वानर था । वानर-योनि में इसने राक्षसवंशी राजा विद्युत्केश की पत्नी श्रीचंद्रा के स्तन विदीर्ण किये थे । इस अपराध के फलस्वरूप विद्युत्केश के बाणों से आहत होकर यह एक मुनि के निकट पहुँचा था । मुनि ने दयार्द्र होकर इसे सब पदार्थों का त्याग कराकर पंच नमस्कार मंत्र का उपदेश दिया था । मंत्र के अभाव से वह वानर मरकर इस नाम का देव हुआ । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_6#236|पद्मपुराण - 6.236-242]] </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> एक भवनवासी देव । पूर्वभव में यह एक वानर था । वानर-योनि में इसने राक्षसवंशी राजा विद्युत्केश की पत्नी श्रीचंद्रा के स्तन विदीर्ण किये थे । इस अपराध के फलस्वरूप विद्युत्केश के बाणों से आहत होकर यह एक मुनि के निकट पहुँचा था । मुनि ने दयार्द्र होकर इसे सब पदार्थों का त्याग कराकर पंच नमस्कार मंत्र का उपदेश दिया था । मंत्र के अभाव से वह वानर मरकर इस नाम का देव हुआ । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_6#236|पद्मपुराण - 6.236-242]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:20, 27 November 2023
एक भवनवासी देव । पूर्वभव में यह एक वानर था । वानर-योनि में इसने राक्षसवंशी राजा विद्युत्केश की पत्नी श्रीचंद्रा के स्तन विदीर्ण किये थे । इस अपराध के फलस्वरूप विद्युत्केश के बाणों से आहत होकर यह एक मुनि के निकट पहुँचा था । मुनि ने दयार्द्र होकर इसे सब पदार्थों का त्याग कराकर पंच नमस्कार मंत्र का उपदेश दिया था । मंत्र के अभाव से वह वानर मरकर इस नाम का देव हुआ । पद्मपुराण - 6.236-242