यक्षदेवी: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र में शालिग्राम के निवासी यक्ष और उसकी पत्नी देवसेना की पुत्री इसने धर्मसेन मुनि से व्रत ग्रहण कर मासोपवासी एक मुनिराज को आहार दिया था । इसे अंत में एक अजगर ने निगल लिया था जिससे मरकर यह हरिवर्ष भोगभूमि में उत्पन्न हुई । इसके पिता का दूसरा नाम यक्षिल था । यक्ष की आराधना से जन्म होने के कारण यह इस नाम से प्रसिद्ध हुई । <span class="GRef"> महापुराण 71.388-392, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60.62-67, </span>देखें [[ यक्ष#6 | यक्ष - 6]]</p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र में शालिग्राम के निवासी यक्ष और उसकी पत्नी देवसेना की पुत्री इसने धर्मसेन मुनि से व्रत ग्रहण कर मासोपवासी एक मुनिराज को आहार दिया था । इसे अंत में एक अजगर ने निगल लिया था जिससे मरकर यह हरिवर्ष भोगभूमि में उत्पन्न हुई । इसके पिता का दूसरा नाम यक्षिल था । यक्ष की आराधना से जन्म होने के कारण यह इस नाम से प्रसिद्ध हुई । <span class="GRef"> महापुराण 71.388-392, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_60#62|हरिवंशपुराण - 60.62-67]], </span>देखें [[ यक्ष#6 | यक्ष - 6]]</p> | ||
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Latest revision as of 15:20, 27 November 2023
जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र में शालिग्राम के निवासी यक्ष और उसकी पत्नी देवसेना की पुत्री इसने धर्मसेन मुनि से व्रत ग्रहण कर मासोपवासी एक मुनिराज को आहार दिया था । इसे अंत में एक अजगर ने निगल लिया था जिससे मरकर यह हरिवर्ष भोगभूमि में उत्पन्न हुई । इसके पिता का दूसरा नाम यक्षिल था । यक्ष की आराधना से जन्म होने के कारण यह इस नाम से प्रसिद्ध हुई । महापुराण 71.388-392, हरिवंशपुराण - 60.62-67, देखें यक्ष - 6