विचित्रांगद: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> सौधर्म स्वर्ग का एक देव । इसने स्वर्ग से आकर उत्तर की ओर पूर्वदिशाभिमुख एक सर्वतोभद्र नामक प्रासाद की रचना करके इस भवन के चारों ओर सुलोचना का स्वयंवर मंडप रचा था । <span class="GRef"> महापुराण 43.204-207, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 342-45 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> सौधर्म स्वर्ग का एक देव । इसने स्वर्ग से आकर उत्तर की ओर पूर्वदिशाभिमुख एक सर्वतोभद्र नामक प्रासाद की रचना करके इस भवन के चारों ओर सुलोचना का स्वयंवर मंडप रचा था । <span class="GRef"> महापुराण 43.204-207, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 342-45 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:21, 27 November 2023
सौधर्म स्वर्ग का एक देव । इसने स्वर्ग से आकर उत्तर की ओर पूर्वदिशाभिमुख एक सर्वतोभद्र नामक प्रासाद की रचना करके इस भवन के चारों ओर सुलोचना का स्वयंवर मंडप रचा था । महापुराण 43.204-207, पांडवपुराण 342-45