श्रीनिचय: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 16: | Line 16: | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<div class="HindiText"> <p> प्रभापुर नगर के राजा श्रीनंदन और रानी धरणी का पुत्र । इसके छ: भाई और थे । सातों भाई प्रीतिंकर मुनि से दीक्षित होकर सप्तर्षि नाम से विख्यात हुए । इन मुनियों के तप के प्रभाव में चमरेंद्र द्वारा मथुरा में फैलाई गई महामारी बीमारी नष्ट हो गयी थी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_92#1|पद्मपुराण - 92.1-9]] </span>देखें [[ श्रीनंदन ]]</p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> प्रभापुर नगर के राजा श्रीनंदन और रानी धरणी का पुत्र । इसके छ: भाई और थे । सातों भाई प्रीतिंकर मुनि से दीक्षित होकर सप्तर्षि नाम से विख्यात हुए । इन मुनियों के तप के प्रभाव में चमरेंद्र द्वारा मथुरा में फैलाई गई महामारी बीमारी नष्ट हो गयी थी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_92#1|पद्मपुराण - 92.1-9]] </span>देखें [[ श्रीनंदन ]]</p> | ||
</div> | </div> | ||
Latest revision as of 15:25, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
पुराणकोष से
प्रभापुर नगर के राजा श्रीनंदन और रानी धरणी का पुत्र । इसके छ: भाई और थे । सातों भाई प्रीतिंकर मुनि से दीक्षित होकर सप्तर्षि नाम से विख्यात हुए । इन मुनियों के तप के प्रभाव में चमरेंद्र द्वारा मथुरा में फैलाई गई महामारी बीमारी नष्ट हो गयी थी । पद्मपुराण - 92.1-9 देखें श्रीनंदन