हारी: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
| | ||
== सिद्धांतकोष से == | == सिद्धांतकोष से == | ||
<span class="GRef"> हरिवंशपुराण/22/51-73 का भावार्थ</span><br> | |||
<span class="HindiText">भगवान् ऋषभदेव से नमि और विनमि द्वारा राज्य की याचना करने पर धरणेंद्र ने अनेक देवों के संग आकर उन दोनों को अपनी देवियों से कुछ विद्याएँ दिलाकर संतुष्ट किया। उनमें से एक विद्या का नाम '''हारी''' था।</span> | |||
एक विद्या–देखें [[ विद्या ]]। | एक विद्या–देखें [[ विद्या ]]। | ||
Revision as of 17:30, 16 February 2024
सिद्धांतकोष से
हरिवंशपुराण/22/51-73 का भावार्थ
भगवान् ऋषभदेव से नमि और विनमि द्वारा राज्य की याचना करने पर धरणेंद्र ने अनेक देवों के संग आकर उन दोनों को अपनी देवियों से कुछ विद्याएँ दिलाकर संतुष्ट किया। उनमें से एक विद्या का नाम हारी था।
एक विद्या–देखें विद्या ।
पुराणकोष से
(1) रावण को प्राप्त विद्याओं में एक विद्या । हरिवंशपुराण - 22.63
(2) इंद्र का आज्ञाकारी एक देव । देवकी के युगल रूप में उत्पन्न हुए पुत्रों को सुदृष्टि सेठ की पत्नी अलका के पास यही ले गया था । हरिवंशपुराण - 33.167-169