सत्कथा: Difference between revisions
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<span class="GRef"> महापुराण/1/120,118 </span><span class="SanskritText">यतोऽभ्युदयनि:श्रेयसार्थ संसिद्धिरंजसा। सद्धर्मस्तन्निबद्धा या सा सद्धर्मकथा स्मृता।120।... । तत्रापि सत्कथां धर्म्यामामनंति मनीषिण:।118। </span> | |||
<span class="HindiText">=जिससे जीवों को स्वर्गादि अभ्युदय तथा मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है, वास्तव में वही धर्म कहलाता हे। उससे संबंध रखने वाली जो कथा है उसे <strong>सद्धर्मकथा</strong> कहते हैं।120। जिसमें धर्म का विशेष निरूपण होता है उसे बुद्धिमान पुरुष '''सत्कथा''' कहते हैं।118।</span><br /> | |||
<span class="HindiText">अधिक जानकारी के लिये देखें [[ कथा (सत्कथा व विकथा आदि)#2 |कथा -2 ]]</span> | |||
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Latest revision as of 17:46, 18 February 2024
महापुराण/1/120,118 यतोऽभ्युदयनि:श्रेयसार्थ संसिद्धिरंजसा। सद्धर्मस्तन्निबद्धा या सा सद्धर्मकथा स्मृता।120।... । तत्रापि सत्कथां धर्म्यामामनंति मनीषिण:।118।
=जिससे जीवों को स्वर्गादि अभ्युदय तथा मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है, वास्तव में वही धर्म कहलाता हे। उससे संबंध रखने वाली जो कथा है उसे सद्धर्मकथा कहते हैं।120। जिसमें धर्म का विशेष निरूपण होता है उसे बुद्धिमान पुरुष सत्कथा कहते हैं।118।
अधिक जानकारी के लिये देखें कथा -2