सेनसंघ: Difference between revisions
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तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा /4/358 पर उद्धृत नीतिसार-तस्मिन् श्रीमूलसंघे मुनिजनविमले सेन-नन्दी च संघौ। स्यातां सिंहारव्यसंघोऽभवदुरुमहिमा देवसंघश्चतुर्थः।। अर्हद्बलीगुरुश्चक्रे संघसंघटनं परम्। सिंहसंघो नन्दि संघः सेनसंघस्तथापरः।। = मुनिजनोंके अत्यन्त विमल श्री मूलसंघमें सेनसंघ, नन्दिसंघ, सिंहसंघ और अत्यन्त महिमावन्त देवसंघ ये चार संघ हुए। श्री गुरु अर्हद्बलीके समयमें सिंहसंघ, नन्दिसंघ, सेनसंघ (और देवसंघ) का संघटन किया गया।
अधिक जानकारी के लिये देखें इतिहास - 5.3।