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<title>Vikas Chhabra (Jain) - Profile</title> | |||
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<div class="header"> | |||
< | <h1>विकास छाबड़ा (जैन)</h1> | ||
< | <p>Ex Software Engineer, Microsoft Corp. Silicon Valley, USA</p> | ||
< | </div> | ||
< | <div class="contact-info"> | ||
< | <p><strong>पिता:</strong> श्री विमलचन्द छाबड़ा</p> | ||
< | <p><strong>पता:</strong> 53, मल्हारगंज, मुख्यमार्ग, इन्दौर-452002</p> | ||
< | <p><strong>चलभाष:</strong> 70006-76108</p> | ||
<p><strong>Email:</strong> <a href="mailto:[email protected]">[email protected]</a></p> | |||
<p><strong>YouTube Channel:</strong> <a href="http://www.youtube.com/jainkosh">www.youtube.com/jainkosh</a></p> | |||
</div> | |||
<div class="education"> | |||
<h2>शिक्षा</h2> | |||
<p>M.S. in Computer Science from Texas A&M University, Texas (USA)</p> | |||
</div> | |||
<div class="religious-study"> | |||
<h2>धार्मिक अध्ययन</h2> | |||
<p>चारों अनुयोगों के अधिकतर मूल शास्त्रों का अध्ययन गहनता से किया और करणानुयोग में विशेषज्ञता प्राप्त की है।</p> | |||
<p>आपने इन ग्रंथों का आद्योपांत स्वाध्याय किया है:</p> | |||
<ul> | |||
<li>प्रवचनसार</li> | |||
<li>समयसार</li> | |||
<li>पंचास्तिकाय संग्रह सूत्र</li> | |||
<li>धवल - 16 पुस्तकें</li> | |||
< | <li>जयधवल - 15 पुस्तकें</li> | ||
<li>तत्त्वार्थ सूत्र</li> | |||
<li>सर्वार्थसिद्धि</li> | |||
<li>तत्त्वार्थ राजवार्तिक</li> | |||
<li>इष्टोपदेश</li> | |||
<li>रत्नकरण्ड श्रावकाचार</li> | |||
< | <li>पुरुषार्थ सिद्धि-उपाय</li> | ||
<li>अनगार धर्मामृत</li> | |||
<li>सागार धर्मामृत</li> | |||
<li>गोम्मटसार - जीवकाण्ड-कर्मकाण्ड</li> | |||
<li>लब्धिसार</li> | |||
<li>क्षपणासार</li> | |||
<li>त्रिलोकसार</li> | |||
<li>पद्मपुराण</li> | |||
<li>आदिपुराण</li> | |||
<li>हरिवंश पुराण</li> | |||
<li>अनेकों चरित्र ग्रंथ आदि</li> | |||
</ul> | |||
</div> | |||
<div class="biography"> | |||
<h2>जीवन परिचय</h2> | |||
<p>मात्र 27 वर्ष की युवावस्था में Highly technical Job से निवृत्ति लेकर भारत लौट आये | लौटने का एकमात्र प्रयोजन धार्मिक अध्ययन और आध्यात्मिक उन्नति था | सम्प्रति धार्मिक अध्ययन-अध्यापन, धार्मिक शिक्षण शिविर एवं ध्यान शिविर आयोजन आदि संक्रियाओं में संलग्न हैं। अपने धार्मिक विकास के क्रम में आपने वर्ष २०२१ में चर्या-शिरोमणि आचार्य १०८ श्री विशुद्धसागरजी मुनिराज से प्रथम प्रतिमा के व्रत धारण किये हैं।</p> | |||
<p>आपने भारत में वापस आकर अपने गृह-नगर इन्दौर के श्री दिगम्बर जैन रामाशाह मंदिर, मल्हारगंज में नियमित प्रवचनसार, समयसार, रत्नकरण्ड श्रावकाचार, गोम्मटसार - जीवकाण्ड-कर्मकाण्ड, लब्धिसार, क्षपणासार सहित अनेक ग्रंथों पर वाचनाएँ की हैं । साथ ही आपके भारत के विभिन्न नगरों में समय-समय पर प्रवचन सम्पन्न हुये।</p> | |||
</div> | |||
<div class="activities"> | |||
<h2>विभिन्न कार्य और आयोजन</h2> | |||
<h3>धार्मिक शिविर आयोजन</h3> | |||
<p>अ) आपने इन्दौर में गोम्मटगिरि पर आदरणीय विद्वान् बाल ब्रह्मचारी श्री जीतूभाई चंकेश्वरा, अकलूज के नेतृत्व में धर्म-ध्यान के दो शिविर अत्यन्त सफलतापूर्वक आयोजित कराये।</p> | |||
<p>ब) आप वर्तमान में गोम्मटसार जीवकाण्ड-कर्मकाण्ड जैसे करणानुयोग के सूक्ष्म विषयों पर विगत छह वर्षो से प्रत्येक मई और दिसम्बर माह में निःशुल्क, आवासीय शिविर का आयोजन करते हैं। इन शिविरों में सम्पूर्ण भारतवर्ष के विभिन्न प्रांतों से साधर्मीजन आकर अत्यन्त रुचिपूर्वक अध्ययन करते हैं। इन शिविरों में 9 दिन तक प्रतिदिन 6-6 घण्टे की एक ही विषय की कक्षा लेते हैं | ऐसे 9 शिविर सम्पन्न हो चुके हैं। आगामी शिविर इन्दौर में ही दिसम्बर 2022 में प्रस्तावित है। इन शिविरों में लगभग 400 शिविरार्थी अध्ययन करते हैं। समस्त कक्षाएँ Projecter (छवि-प्रक्षेपित्र) के माध्यम से आधुनिक तकनीक से दृश्य-श्रव्यरूप में प्रस्तुत की जाती हैं। इन शिविरों में डिजीटल Notes तैयार किये जाते हैं और पुस्तकें भी तदनुसार मुद्रित कराकर शिविरार्थियों को प्रदान की जाती हैं। यह समस्त पाठ्य सामग्री इनकी वेबसाइट पर उपलब्ध है | सारी कक्षाएँ भी इनके यू-ट्यूब चैनल पर देखी जा सकती हैं।</p> | |||
<h3>Jainkosh.org website</h3> | |||
<p>श्री क्षुल्लक जिनेन्द्र वर्णी जी द्वारा <strong>"जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश"</strong> जैसे महान जैन शब्द-कोश का प्रणयन किया गया था। यह शब्दकोश चार पुस्तकों में अनेकों वर्षों से जैन-जगत् के विद्वानों, अध्येताओं, स्वाध्यायियों के लिए ज्ञान का अद्भुत महत्त्वपूर्ण निधान बना हुआ है। वर्तमान समय की आवश्यकता के अनुसार इन्होंने इस ग्रंथ को Digital करने का महान् कार्य किया है। इन्होंने इस सम्पूर्ण कोश को Jainkosh.org वेबसाइट पर उपलब्ध कराने का अभूतपूर्व कार्य किया है। इस वेबसाइट से आप प्रत्येक शब्द को खोज सकते हैं, पढ़ सकते हैं, आपस में सम्बंधित शब्दों को एक Click में देख सकते हैं । यह वेबसाइट विद्वानों, शोधार्थियों, स्वाध्यायियों, अध्येताओं के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो रही है। प्रतिदिन हजारों clicks इस वेबसाइट पर होते है। इसका सम्पूर्ण प्रबन्धन भी श्री विकास जी द्वारा होता है।</p> | |||
<h3>JainGames.org</h3> | |||
<p>आपके द्वारा सभी वर्ग के लिए अत्यन्त सुन्दर ज्ञानवर्धक गेम (खेल) तैयार किये गये हैं। उन्हें सभी लोग अपने मोबाईल पर डाउनलोड करके देख सकते हैं और नये तरीके से जैनधर्म का ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। अभी तक श्री विकासजी द्वारा तीन गेम बनाये गये हैं:</p> | |||
<ul> | |||
<li><strong>KBDS</strong> - KBC की थीम (अनुरूप) पर आधारित इस गेम में प्रारम्भिक स्तर के 1400 से भी अधिक प्रश्न हैं तथा छहढाला पर आधारित 5000 से अधिक प्रश्न हैं। इस गेम को अभी तक 45,000 बार download किया जा चुका है।</li> | |||
<li><strong>Jain5</strong> - बिलकुल नयी सोच वाला गेम – जिसमें एक प्रश्न के 9 विकल्पों में से 5 विकल्प आपको खोजने है। यह खेल अत्यन्त लोकप्रिय हुआ है और 15,000 बार download हो चुका है।</li> | |||
<li><strong>Floating Letters</strong> - शब्दों पर आधारित विश्व का प्रथम हिन्दी भाषा का यह खेल है । इसमें घूमते हुये अक्षरों से शब्द पहचानना होता है। इसमें 2500 शब्द हैं जिनके अर्थ खेल-ही-खेल में सीखे जा सकते हैं। ये सभी गेम्स उपर्युक्त वेबसाइट पर उपलब्ध हैं।</li> | |||
</ul> | |||
<h3>अन्य कार्य</h3> | |||
<p>आपके द्वारा <strong>"पंचास्तिकाय संग्रह -- रेखाचित्र एवं तालिकाओं में"</strong> पुस्तक भी तैयार एवं प्रकाशित करायी गयी है। इसमें आचार्य कुन्दकुन्ददेव विरचित पंचास्तिकाय ग्रंथ एवं इसकी टीकाओं को सरलता से, विशद रूप से समझने के लिए रेखाचित्र एवं तालिकाओं के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है।</p> | |||
<p>आपके द्वारा पूज्य क्षु. श्री सहजानंदजी वर्णी विरचित ग्रंथों को सुरक्षित रखने हेतु टाइप करवाकर वेबसाइट पर रखा गया है | पिछले ८ वर्षों से लगभग 150+ से भी अधिक ग्रंथों को टाइप करके वेबसाइट पर डाला गया है | इन ग्रंथों को जन-साधारण डाउनलोड करके स्वाध्याय कर सकते हैं, पब्लिश करवा सकते हैं |</p> | |||
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Revision as of 22:38, 24 June 2024
<!DOCTYPE html> <html lang="en"> <head>
<meta charset="UTF-8"> <meta name="viewport" content="width=device-width, initial-scale=1.0"> <title>Vikas Chhabra (Jain) - Profile</title> <style> body { font-family: Arial, sans-serif; background-color: #f4f4f9; margin: 0; padding: 0; }
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ul { list-style-type: square; padding-left: 20px; }
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a { color: #007bff; text-decoration: none; }
a:hover { text-decoration: underline; } </style>
</head> <body>
विकास छाबड़ा (जैन)
Ex Software Engineer, Microsoft Corp. Silicon Valley, USA
पिता: श्री विमलचन्द छाबड़ा
पता: 53, मल्हारगंज, मुख्यमार्ग, इन्दौर-452002
चलभाष: 70006-76108
Email: <a href="mailto:[email protected]">[email protected]</a>
YouTube Channel: <a href="http://www.youtube.com/jainkosh">www.youtube.com/jainkosh</a>
शिक्षा
M.S. in Computer Science from Texas A&M University, Texas (USA)
धार्मिक अध्ययन
चारों अनुयोगों के अधिकतर मूल शास्त्रों का अध्ययन गहनता से किया और करणानुयोग में विशेषज्ञता प्राप्त की है।
आपने इन ग्रंथों का आद्योपांत स्वाध्याय किया है:
- प्रवचनसार
- समयसार
- पंचास्तिकाय संग्रह सूत्र
- धवल - 16 पुस्तकें
- जयधवल - 15 पुस्तकें
- तत्त्वार्थ सूत्र
- सर्वार्थसिद्धि
- तत्त्वार्थ राजवार्तिक
- इष्टोपदेश
- रत्नकरण्ड श्रावकाचार
- पुरुषार्थ सिद्धि-उपाय
- अनगार धर्मामृत
- सागार धर्मामृत
- गोम्मटसार - जीवकाण्ड-कर्मकाण्ड
- लब्धिसार
- क्षपणासार
- त्रिलोकसार
- पद्मपुराण
- आदिपुराण
- हरिवंश पुराण
- अनेकों चरित्र ग्रंथ आदि
जीवन परिचय
मात्र 27 वर्ष की युवावस्था में Highly technical Job से निवृत्ति लेकर भारत लौट आये | लौटने का एकमात्र प्रयोजन धार्मिक अध्ययन और आध्यात्मिक उन्नति था | सम्प्रति धार्मिक अध्ययन-अध्यापन, धार्मिक शिक्षण शिविर एवं ध्यान शिविर आयोजन आदि संक्रियाओं में संलग्न हैं। अपने धार्मिक विकास के क्रम में आपने वर्ष २०२१ में चर्या-शिरोमणि आचार्य १०८ श्री विशुद्धसागरजी मुनिराज से प्रथम प्रतिमा के व्रत धारण किये हैं।
आपने भारत में वापस आकर अपने गृह-नगर इन्दौर के श्री दिगम्बर जैन रामाशाह मंदिर, मल्हारगंज में नियमित प्रवचनसार, समयसार, रत्नकरण्ड श्रावकाचार, गोम्मटसार - जीवकाण्ड-कर्मकाण्ड, लब्धिसार, क्षपणासार सहित अनेक ग्रंथों पर वाचनाएँ की हैं । साथ ही आपके भारत के विभिन्न नगरों में समय-समय पर प्रवचन सम्पन्न हुये।
विभिन्न कार्य और आयोजन
धार्मिक शिविर आयोजन
अ) आपने इन्दौर में गोम्मटगिरि पर आदरणीय विद्वान् बाल ब्रह्मचारी श्री जीतूभाई चंकेश्वरा, अकलूज के नेतृत्व में धर्म-ध्यान के दो शिविर अत्यन्त सफलतापूर्वक आयोजित कराये।
ब) आप वर्तमान में गोम्मटसार जीवकाण्ड-कर्मकाण्ड जैसे करणानुयोग के सूक्ष्म विषयों पर विगत छह वर्षो से प्रत्येक मई और दिसम्बर माह में निःशुल्क, आवासीय शिविर का आयोजन करते हैं। इन शिविरों में सम्पूर्ण भारतवर्ष के विभिन्न प्रांतों से साधर्मीजन आकर अत्यन्त रुचिपूर्वक अध्ययन करते हैं। इन शिविरों में 9 दिन तक प्रतिदिन 6-6 घण्टे की एक ही विषय की कक्षा लेते हैं | ऐसे 9 शिविर सम्पन्न हो चुके हैं। आगामी शिविर इन्दौर में ही दिसम्बर 2022 में प्रस्तावित है। इन शिविरों में लगभग 400 शिविरार्थी अध्ययन करते हैं। समस्त कक्षाएँ Projecter (छवि-प्रक्षेपित्र) के माध्यम से आधुनिक तकनीक से दृश्य-श्रव्यरूप में प्रस्तुत की जाती हैं। इन शिविरों में डिजीटल Notes तैयार किये जाते हैं और पुस्तकें भी तदनुसार मुद्रित कराकर शिविरार्थियों को प्रदान की जाती हैं। यह समस्त पाठ्य सामग्री इनकी वेबसाइट पर उपलब्ध है | सारी कक्षाएँ भी इनके यू-ट्यूब चैनल पर देखी जा सकती हैं।
Jainkosh.org website
श्री क्षुल्लक जिनेन्द्र वर्णी जी द्वारा "जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश" जैसे महान जैन शब्द-कोश का प्रणयन किया गया था। यह शब्दकोश चार पुस्तकों में अनेकों वर्षों से जैन-जगत् के विद्वानों, अध्येताओं, स्वाध्यायियों के लिए ज्ञान का अद्भुत महत्त्वपूर्ण निधान बना हुआ है। वर्तमान समय की आवश्यकता के अनुसार इन्होंने इस ग्रंथ को Digital करने का महान् कार्य किया है। इन्होंने इस सम्पूर्ण कोश को Jainkosh.org वेबसाइट पर उपलब्ध कराने का अभूतपूर्व कार्य किया है। इस वेबसाइट से आप प्रत्येक शब्द को खोज सकते हैं, पढ़ सकते हैं, आपस में सम्बंधित शब्दों को एक Click में देख सकते हैं । यह वेबसाइट विद्वानों, शोधार्थियों, स्वाध्यायियों, अध्येताओं के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो रही है। प्रतिदिन हजारों clicks इस वेबसाइट पर होते है। इसका सम्पूर्ण प्रबन्धन भी श्री विकास जी द्वारा होता है।
JainGames.org
आपके द्वारा सभी वर्ग के लिए अत्यन्त सुन्दर ज्ञानवर्धक गेम (खेल) तैयार किये गये हैं। उन्हें सभी लोग अपने मोबाईल पर डाउनलोड करके देख सकते हैं और नये तरीके से जैनधर्म का ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। अभी तक श्री विकासजी द्वारा तीन गेम बनाये गये हैं:
- KBDS - KBC की थीम (अनुरूप) पर आधारित इस गेम में प्रारम्भिक स्तर के 1400 से भी अधिक प्रश्न हैं तथा छहढाला पर आधारित 5000 से अधिक प्रश्न हैं। इस गेम को अभी तक 45,000 बार download किया जा चुका है।
- Jain5 - बिलकुल नयी सोच वाला गेम – जिसमें एक प्रश्न के 9 विकल्पों में से 5 विकल्प आपको खोजने है। यह खेल अत्यन्त लोकप्रिय हुआ है और 15,000 बार download हो चुका है।
- Floating Letters - शब्दों पर आधारित विश्व का प्रथम हिन्दी भाषा का यह खेल है । इसमें घूमते हुये अक्षरों से शब्द पहचानना होता है। इसमें 2500 शब्द हैं जिनके अर्थ खेल-ही-खेल में सीखे जा सकते हैं। ये सभी गेम्स उपर्युक्त वेबसाइट पर उपलब्ध हैं।
अन्य कार्य
आपके द्वारा "पंचास्तिकाय संग्रह -- रेखाचित्र एवं तालिकाओं में" पुस्तक भी तैयार एवं प्रकाशित करायी गयी है। इसमें आचार्य कुन्दकुन्ददेव विरचित पंचास्तिकाय ग्रंथ एवं इसकी टीकाओं को सरलता से, विशद रूप से समझने के लिए रेखाचित्र एवं तालिकाओं के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है।
आपके द्वारा पूज्य क्षु. श्री सहजानंदजी वर्णी विरचित ग्रंथों को सुरक्षित रखने हेतु टाइप करवाकर वेबसाइट पर रखा गया है | पिछले ८ वर्षों से लगभग 150+ से भी अधिक ग्रंथों को टाइप करके वेबसाइट पर डाला गया है | इन ग्रंथों को जन-साधारण डाउनलोड करके स्वाध्याय कर सकते हैं, पब्लिश करवा सकते हैं |
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