मूलगुण: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<ol> | <ol> | ||
<li class="HindiText"> ध. आ./वि./११६- २७७/३- उत्तरगुणानां कारणत्वान्मूलगुणव्यपदेशो व्रतेषु वर्तते । = अनशनादि तप उत्तर गुण हैं( | <li class="HindiText"> ध. आ./वि./११६- २७७/३- उत्तरगुणानां कारणत्वान्मूलगुणव्यपदेशो व्रतेषु वर्तते । = अनशनादि तप उत्तर गुण हैं(देखें - [[ उत्तर गुण | उत्तर गुण ]]) । उनके कारण होने से व्रतों में मूलगुण का व्यपदेश होता है । </li> | ||
<li class="HindiText"> श्रावक के अष्ट <strong>मूलगुण−</strong> | <li class="HindiText"> श्रावक के अष्ट <strong>मूलगुण−</strong> देखें - [[ श्रावक#4 | श्रावक / ४]]) । </li> | ||
<li class="HindiText"> साधु के २८ मूल गुण- | <li class="HindiText"> साधु के २८ मूल गुण- देखें - [[ साधु#2 | साधु / २ ]]। </li> | ||
</ol> | </ol> | ||
Revision as of 15:25, 6 October 2014
- ध. आ./वि./११६- २७७/३- उत्तरगुणानां कारणत्वान्मूलगुणव्यपदेशो व्रतेषु वर्तते । = अनशनादि तप उत्तर गुण हैं(देखें - उत्तर गुण ) । उनके कारण होने से व्रतों में मूलगुण का व्यपदेश होता है ।
- श्रावक के अष्ट मूलगुण− देखें - श्रावक / ४) ।
- साधु के २८ मूल गुण- देखें - साधु / २ ।