मेघनाद: Difference between revisions
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<p class="HindiText">म. पु. /६३/श्लोक नं.- भरतक्षेत्र विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी में गगनवल्लभ नगर के राजा मेघवाहन का पुत्र था । दोनों श्रेणियों का राजा था । (२८-३०) । किसी समय प्रज्ञप्ति विद्या सिद्ध करता था । तब पूर्व जन्म के भाई अपराजित बलभद्र के जीव के समझाने पर दीक्षा ले ली । (३१-३२)। असुरकृत उपसर्ग में निश्चल रहे । (३३-३५)। संन्यास मरणकर अच्युतेन्द्र हुए । (३६)। यह शान्तिनाथ भगवान् के प्रथम गणधर चक्रायुध के पूर्व का छठाँ भव है | <p class="HindiText">म. पु. /६३/श्लोक नं.- भरतक्षेत्र विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी में गगनवल्लभ नगर के राजा मेघवाहन का पुत्र था । दोनों श्रेणियों का राजा था । (२८-३०) । किसी समय प्रज्ञप्ति विद्या सिद्ध करता था । तब पूर्व जन्म के भाई अपराजित बलभद्र के जीव के समझाने पर दीक्षा ले ली । (३१-३२)। असुरकृत उपसर्ग में निश्चल रहे । (३३-३५)। संन्यास मरणकर अच्युतेन्द्र हुए । (३६)। यह शान्तिनाथ भगवान् के प्रथम गणधर चक्रायुध के पूर्व का छठाँ भव है ।−देखें - [[ चक्रायुध | चक्रायुध । ]]</p> | ||
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Revision as of 15:25, 6 October 2014
म. पु. /६३/श्लोक नं.- भरतक्षेत्र विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी में गगनवल्लभ नगर के राजा मेघवाहन का पुत्र था । दोनों श्रेणियों का राजा था । (२८-३०) । किसी समय प्रज्ञप्ति विद्या सिद्ध करता था । तब पूर्व जन्म के भाई अपराजित बलभद्र के जीव के समझाने पर दीक्षा ले ली । (३१-३२)। असुरकृत उपसर्ग में निश्चल रहे । (३३-३५)। संन्यास मरणकर अच्युतेन्द्र हुए । (३६)। यह शान्तिनाथ भगवान् के प्रथम गणधर चक्रायुध के पूर्व का छठाँ भव है ।−देखें - चक्रायुध ।