यक्ष: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 13: | Line 13: | ||
<ol> | <ol> | ||
<ol> | <ol> | ||
<li><span class="HindiText"> व्यन्तर देवों का एक भेद | <li><span class="HindiText"> व्यन्तर देवों का एक भेद है।− देखें - [[ व्यन्तर#1 | व्यन्तर / १ ]]। <br /> | ||
</span></li> | </span></li> | ||
<li><span class="HindiText"> पिशाच जाति के देवों का एक भेद | <li><span class="HindiText"> पिशाच जाति के देवों का एक भेद है।−देखें - [[ पिशाच | पिशाच। ]]<br /> | ||
</span></li> | </span></li> | ||
<li><span class="HindiText"> छह दिशाओं के ६ रक्षक देव−विजय, वैजयन्त, जयन्त, अपराजित, अनावर्त, आवर्त। (प्रतिष्ठा सारोद्धार/३/१९६-२०१)। <br /> | <li><span class="HindiText"> छह दिशाओं के ६ रक्षक देव−विजय, वैजयन्त, जयन्त, अपराजित, अनावर्त, आवर्त। (प्रतिष्ठा सारोद्धार/३/१९६-२०१)। <br /> | ||
</span></li> | </span></li> | ||
<li><span class="HindiText"> यक्षों का वर्ण, परिवार व अवस्थान | <li><span class="HindiText"> यक्षों का वर्ण, परिवार व अवस्थान आदि।−देखें - [[ व्यन्तर | व्यन्तर। ]]<br /> | ||
</span></li> | </span></li> | ||
<li><span class="HindiText"> तीर्थंकरों के २४ यक्षों के | <li><span class="HindiText"> तीर्थंकरों के २४ यक्षों के नाम।− देखें - [[ तीर्थंकर#5 | तीर्थंकर / ५ ]]। <br /> | ||
</span></li> | </span></li> | ||
<li><span class="HindiText"> तीर्थंकरों की २४ यक्षिणियों के | <li><span class="HindiText"> तीर्थंकरों की २४ यक्षिणियों के नाम।− देखें - [[ तीर्थंकर#5 | तीर्थंकर / ५ ]]। <br /> | ||
</span></li> | </span></li> | ||
<li><span class="HindiText"> तीर्थंकरों के २४ शासक | <li><span class="HindiText"> तीर्थंकरों के २४ शासक देवता।− देखें - [[ तीर्थंकर#5 | तीर्थंकर / ५ ]]। </span></li> | ||
</ol> | </ol> | ||
</ol> | </ol> |
Revision as of 15:25, 6 October 2014
- यक्ष
ध. १३/५, ५, १४०/३९१/९ लोभभूयिष्ठाः भाण्डागारे नियुक्ताः यक्षा: नाम। = जिनके लोभ की मात्रा अधिक होती है और जो भाण्डागार में नियुक्त किये जाते हैं, वे यक्ष कहलाते हैं।
- यक्षनामा व्यन्तर देव के भेद
ति. प./६/४२ अहमणिपुण्ण सेलमणो भद्दा भद्दका सुभद्दा य। तह सव्वभद्दमाणुसघणपालसरूवजक्खक्खा।४२। जक्खुत्तममणहरणा ताणं ये माणिपुण्णभद्दिंदा...।४३। = माणिभद्र, पूर्णभद्र, शैलभद्र, मनोभद्र, भद्रक, सुभद्र, सर्वभद्र, मानुष, धनपाल, स्वरूपयक्ष, यक्षोत्तम और मनोहरण ये बारह यक्षों के भेद हैं।४२। इनके माणिभद्र और पूर्णभद्र ये दो इन्द्र हैं। (त्रि. सा./२६५-२६६)।
- अन्य सम्बन्धित विषय
- व्यन्तर देवों का एक भेद है।− देखें - व्यन्तर / १ ।
- पिशाच जाति के देवों का एक भेद है।−देखें - पिशाच।
- छह दिशाओं के ६ रक्षक देव−विजय, वैजयन्त, जयन्त, अपराजित, अनावर्त, आवर्त। (प्रतिष्ठा सारोद्धार/३/१९६-२०१)।
- यक्षों का वर्ण, परिवार व अवस्थान आदि।−देखें - व्यन्तर।
- तीर्थंकरों के २४ यक्षों के नाम।− देखें - तीर्थंकर / ५ ।
- तीर्थंकरों की २४ यक्षिणियों के नाम।− देखें - तीर्थंकर / ५ ।
- तीर्थंकरों के २४ शासक देवता।− देखें - तीर्थंकर / ५ ।