रत्नमाला: Difference between revisions
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<li> धरणीतिलक नगर के राजा अतिवेग की पुत्री थी । वज्रायुध से विवाही गयी । (म. पु./५९/२४१-२४२) यह मेरु गणधर का पूर्व का चौथा भव है<strong>−</strong> | <li> धरणीतिलक नगर के राजा अतिवेग की पुत्री थी । वज्रायुध से विवाही गयी । (म. पु./५९/२४१-२४२) यह मेरु गणधर का पूर्व का चौथा भव है<strong>−</strong>देखें - [[ मेरु | मेरु । ]]</li> | ||
<li> आ. शिवकोटि (ई. श. ११) द्वारा तत्त्वार्थ सूत्र पर रची गयी टीका । </li> | <li> आ. शिवकोटि (ई. श. ११) द्वारा तत्त्वार्थ सूत्र पर रची गयी टीका । </li> | ||
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Revision as of 15:25, 6 October 2014
- धरणीतिलक नगर के राजा अतिवेग की पुत्री थी । वज्रायुध से विवाही गयी । (म. पु./५९/२४१-२४२) यह मेरु गणधर का पूर्व का चौथा भव है−देखें - मेरु ।
- आ. शिवकोटि (ई. श. ११) द्वारा तत्त्वार्थ सूत्र पर रची गयी टीका ।