वस्तु: Difference between revisions
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का.अ./मू./२२५ <span class="PrakritText">जं वत्थु अणेयंतं ते चिय कज्जं करेदि णियमेण। बहु धम्मजुदं अत्थं कज्जकरं दीसदे लोए। </span>= <span class="HindiText">जो वस्तु अनेकान्तस्वरूप है, वही नियम से कार्यकारी है। क्योंकि लोक में बहुत धर्म युक्त पदार्थ ही कार्यकारी देखा जाता है। - (विशेष | का.अ./मू./२२५ <span class="PrakritText">जं वत्थु अणेयंतं ते चिय कज्जं करेदि णियमेण। बहु धम्मजुदं अत्थं कज्जकरं दीसदे लोए। </span>= <span class="HindiText">जो वस्तु अनेकान्तस्वरूप है, वही नियम से कार्यकारी है। क्योंकि लोक में बहुत धर्म युक्त पदार्थ ही कार्यकारी देखा जाता है। - (विशेष देखें - [[ द्रव्य | द्रव्य ]]) </span><br /> | ||
स्या.मं./५/३०/६ <span class="SanskritText">वस्तुनस्तावदर्थ क्रियाकारित्वं लक्षणम्। </span><br /> | स्या.मं./५/३०/६ <span class="SanskritText">वस्तुनस्तावदर्थ क्रियाकारित्वं लक्षणम्। </span><br /> | ||
स्या.मं./२३/२७२/६ <span class="SanskritText">वसन्ति गुणपर्याया अस्मिन्निति वस्तु। </span>= <span class="HindiText">अर्थक्रियाकारित्व ही वस्तु का लक्षण है। अथवा जिसमें गुणपर्यायें वास करें वस्तु है। <br /> | स्या.मं./२३/२७२/६ <span class="SanskritText">वसन्ति गुणपर्याया अस्मिन्निति वस्तु। </span>= <span class="HindiText">अर्थक्रियाकारित्व ही वस्तु का लक्षण है। अथवा जिसमें गुणपर्यायें वास करें वस्तु है। <br /> | ||
देखें - [[ द्रव्य#1.7 | द्रव्य / १ / ७ ]]- (सत्त, सत्त्व, सत्, सामान्य, द्रव्य, अन्वय, वस्तु, अर्थ, विधि ये सब एकार्थवाची शब्द हैं)। <br /> | |||
देखें - [[ द्रव्य#1.4 | द्रव्य / १ / ४ ]](वस्तु गुणपर्यायात्मक है)। <br /> | |||
देखें - [[ सामान्य | सामान्य ]](वस्तु सामान्य विशेषात्मक है)। <br /> | |||
देखें - [[ श्रुतज्ञान#II | श्रुतज्ञान / II ]].(वस्तु श्रुतज्ञान के एक भेद का नाम है)। </span></p> | |||
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Revision as of 15:26, 6 October 2014
लि.वि./मूलवृत्ति/४/१५/२९३/११ परिणामो वस्तुलक्षणम्। = परिणमन करते रहना यहाँ वस्तु का लक्षण है।
का.अ./मू./२२५ जं वत्थु अणेयंतं ते चिय कज्जं करेदि णियमेण। बहु धम्मजुदं अत्थं कज्जकरं दीसदे लोए। = जो वस्तु अनेकान्तस्वरूप है, वही नियम से कार्यकारी है। क्योंकि लोक में बहुत धर्म युक्त पदार्थ ही कार्यकारी देखा जाता है। - (विशेष देखें - द्रव्य )
स्या.मं./५/३०/६ वस्तुनस्तावदर्थ क्रियाकारित्वं लक्षणम्।
स्या.मं./२३/२७२/६ वसन्ति गुणपर्याया अस्मिन्निति वस्तु। = अर्थक्रियाकारित्व ही वस्तु का लक्षण है। अथवा जिसमें गुणपर्यायें वास करें वस्तु है।
देखें - द्रव्य / १ / ७ - (सत्त, सत्त्व, सत्, सामान्य, द्रव्य, अन्वय, वस्तु, अर्थ, विधि ये सब एकार्थवाची शब्द हैं)।
देखें - द्रव्य / १ / ४ (वस्तु गुणपर्यायात्मक है)।
देखें - सामान्य (वस्तु सामान्य विशेषात्मक है)।
देखें - श्रुतज्ञान / II .(वस्तु श्रुतज्ञान के एक भेद का नाम है)।