विचार: Difference between revisions
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स.सि./९/४४/४५५/१३ <span class="SanskritText">एवं परिवर्तनं वीचार इत्युच्यते।</span> = <span class="HindiText">इस प्रकार के (अर्थ व्यञ्जन व योग के) परिवर्तन को वीचार कहते हैं। (रा.वा./९/४४/-/६३४/१३)। </span><br /> | स.सि./९/४४/४५५/१३ <span class="SanskritText">एवं परिवर्तनं वीचार इत्युच्यते।</span> = <span class="HindiText">इस प्रकार के (अर्थ व्यञ्जन व योग के) परिवर्तन को वीचार कहते हैं। (रा.वा./९/४४/-/६३४/१३)। </span><br /> | ||
रा.वा./१/१२/११/५५/१८<span class="SanskritText"> आलम्ब ने अर्पणा वितर्कः, तत्रैवानुमर्शनं विचारः। </span>=<span class="HindiText"> विषय के प्रथम ज्ञान को वितर्क कहते हैं। उसी का बार-बार चिन्तवन विचार कहलाता है। <br /> | रा.वा./१/१२/११/५५/१८<span class="SanskritText"> आलम्ब ने अर्पणा वितर्कः, तत्रैवानुमर्शनं विचारः। </span>=<span class="HindiText"> विषय के प्रथम ज्ञान को वितर्क कहते हैं। उसी का बार-बार चिन्तवन विचार कहलाता है। <br /> | ||
देखें - [[ विचय | विचय ]]–(विचय, विचारणा, परीक्ष और मीमांसा ये समानार्थक शब्द हैं।) <br /> | |||
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<li class="HindiText"> सविचार अविचार भक्त प्रत्य | <li class="HindiText"> सविचार अविचार भक्त प्रत्य ख्यान– देखें - [[ सल्लेखना#3 | सल्लेखना / ३ ]]। <br /> | ||
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<li class="HindiText"> सविचार व अविचार शुक्लध्यान- | <li class="HindiText"> सविचार व अविचार शुक्लध्यान- देखें - [[ शुक्लध्यान | शुक्लध्यान। ]]</li> | ||
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Revision as of 15:26, 6 October 2014
त.सू./९/४४ वीचारोऽर्थव्यञ्जनयोगसंक्रान्तिः।४४।–अर्थ, व्यञ्जन और योग की संक्रान्ति वीचार है।
स.सि./९/४४/४५५/१३ एवं परिवर्तनं वीचार इत्युच्यते। = इस प्रकार के (अर्थ व्यञ्जन व योग के) परिवर्तन को वीचार कहते हैं। (रा.वा./९/४४/-/६३४/१३)।
रा.वा./१/१२/११/५५/१८ आलम्ब ने अर्पणा वितर्कः, तत्रैवानुमर्शनं विचारः। = विषय के प्रथम ज्ञान को वितर्क कहते हैं। उसी का बार-बार चिन्तवन विचार कहलाता है।
देखें - विचय –(विचय, विचारणा, परीक्ष और मीमांसा ये समानार्थक शब्द हैं।)
- सविचार अविचार भक्त प्रत्य ख्यान– देखें - सल्लेखना / ३ ।
- सविचार व अविचार शुक्लध्यान- देखें - शुक्लध्यान।