विष्णु: Difference between revisions
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<p>ति.प./४/५१८ <span class="PrakritGatha">तह य तिविट्ठदुविट्ठा सयंभु पुरिसुत्तमो पुरिससोहो। पुंडरीयदत्तणारायणा य किण्हो हुवंति णव विण्हू।५१८।</span> = <span class="HindiText">त्रिपृष्ठ, द्विपृष्ठ, स्वयम्भू, पुरुषोत्तम, पुरुषसिंह, पुण्डरीक, दत्त, नारायण और कृष्ण ये नौ विष्णु(नारायण) हैं।५१८।–(विशेष | <p>ति.प./४/५१८ <span class="PrakritGatha">तह य तिविट्ठदुविट्ठा सयंभु पुरिसुत्तमो पुरिससोहो। पुंडरीयदत्तणारायणा य किण्हो हुवंति णव विण्हू।५१८।</span> = <span class="HindiText">त्रिपृष्ठ, द्विपृष्ठ, स्वयम्भू, पुरुषोत्तम, पुरुषसिंह, पुण्डरीक, दत्त, नारायण और कृष्ण ये नौ विष्णु(नारायण) हैं।५१८।–(विशेष देखें - [[ शलाका पुरुष#4 | शलाका पुरुष / ४ ]])। <br /> | ||
देखें - [[ जीव#1.3.5 | जीव / १ / ३ / ५ ]]–(प्राप्त हुए शरीर को व्याप्त करने के कारण जीव को विष्णु कहते हैं।) </span><br /> | |||
द्र.स./टी./१४/४७/३ <span class="SanskritText">सकलविमलकेवलज्ञानेन येन कारणेन समस्तं लोकालोकं जानाति व्याप्तो तेन कारणेन विष्णुर्भण्यते।</span> =<span class="HindiText"> क्योंकि पूर्ण निर्मल केवलज्ञान द्वारा लोक-अलोक में व्याप्त होता है, इस कारण वह परमात्मा विष्णु कहा जाता है। <br /> | द्र.स./टी./१४/४७/३ <span class="SanskritText">सकलविमलकेवलज्ञानेन येन कारणेन समस्तं लोकालोकं जानाति व्याप्तो तेन कारणेन विष्णुर्भण्यते।</span> =<span class="HindiText"> क्योंकि पूर्ण निर्मल केवलज्ञान द्वारा लोक-अलोक में व्याप्त होता है, इस कारण वह परमात्मा विष्णु कहा जाता है। <br /> | ||
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<li><span class="HindiText"> परम विष्णु के अपर | <li><span class="HindiText"> परम विष्णु के अपर नाम– देखें - [[ मोक्षमार्ग#2.5 | मोक्षमार्ग / २ / ५ ]]। </span></li> | ||
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Revision as of 16:25, 6 October 2014
ति.प./४/५१८ तह य तिविट्ठदुविट्ठा सयंभु पुरिसुत्तमो पुरिससोहो। पुंडरीयदत्तणारायणा य किण्हो हुवंति णव विण्हू।५१८। = त्रिपृष्ठ, द्विपृष्ठ, स्वयम्भू, पुरुषोत्तम, पुरुषसिंह, पुण्डरीक, दत्त, नारायण और कृष्ण ये नौ विष्णु(नारायण) हैं।५१८।–(विशेष देखें - शलाका पुरुष / ४ )।
देखें - जीव / १ / ३ / ५ –(प्राप्त हुए शरीर को व्याप्त करने के कारण जीव को विष्णु कहते हैं।)
द्र.स./टी./१४/४७/३ सकलविमलकेवलज्ञानेन येन कारणेन समस्तं लोकालोकं जानाति व्याप्तो तेन कारणेन विष्णुर्भण्यते। = क्योंकि पूर्ण निर्मल केवलज्ञान द्वारा लोक-अलोक में व्याप्त होता है, इस कारण वह परमात्मा विष्णु कहा जाता है।
- परम विष्णु के अपर नाम– देखें - मोक्षमार्ग / २ / ५ ।