धर्मकीर्ति: Difference between revisions
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Revision as of 22:20, 1 March 2015
- त्रिमलय देश में उत्पन्न एक प्रकाण्ड बौद्ध नैयायिक थे। आप नालन्दा विश्वविद्यालय के आचार्य धर्मपाल के शिष्य तथा प्रज्ञागुप्त के गुरु थे। आपके पिता का नाम कोरुनन्द था। आपकी निम्न कृतियाँ न्यायक्षेत्र में अतिप्रसिद्ध हैं‒
- प्रमाण वार्तिक,
- प्रमाणविनिश्चय,
- न्यायबिन्दु,
- सन्तानान्तर सिद्धि,
- सम्बन्ध परीक्षा,
- वादन्याय,
- हेतु-बिन्दु। समय‒ई.६२५-६५० (जै./२/३३१)।
- पद्मपुराण व हरिवंश पुराण के रचयिता बलात्कार गणीय भट्टारक। गुरु परम्परा-त्रिभुवन कीर्ति, पद्मनन्दि, यश:कीर्ति, ललितकीर्ति, धर्मकीर्ति। समय‒वि०१६४५-१६८२। ती०/३/४/३३)।