हरिवंश: Difference between revisions
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< | <p class="HindiText">सुमुख राजा ने वीरक नामक श्रेष्ठी की स्त्री का हरणकर उससे भोग किया। ये दोनों फिर आहार दान के प्रभाव से हरिक्षेत्र में उत्पन्न हुए। पूर्व वैर के कारण वीरक ने देव बनकर इसको (सुमुख के जीव को) भरत क्षेत्र में रख दिया। चूँकि यह हरिक्षेत्र से आया था इसलिए इसके वंश का नाम हरिवंश हुआ। (प.पु./२१/२-७३;४८-५५); (ह.पु./१५/५८)- देखें - [[ इतिहास#10.18 | इतिहास / १० / १८ ]]।</p> | ||
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Revision as of 15:15, 31 January 2016
सुमुख राजा ने वीरक नामक श्रेष्ठी की स्त्री का हरणकर उससे भोग किया। ये दोनों फिर आहार दान के प्रभाव से हरिक्षेत्र में उत्पन्न हुए। पूर्व वैर के कारण वीरक ने देव बनकर इसको (सुमुख के जीव को) भरत क्षेत्र में रख दिया। चूँकि यह हरिक्षेत्र से आया था इसलिए इसके वंश का नाम हरिवंश हुआ। (प.पु./२१/२-७३;४८-५५); (ह.पु./१५/५८)- देखें - इतिहास / १० / १८ ।