अनन्तवीर्य: Difference between revisions
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द्रविड़संघ नन्दिगण उरुङ्गलान्वय गुणकीर्ति सिद्धान्त भट्टारक तथा देवकीर्ति पण्डित के गुरु, वादिराज के दादागुरु, श्रीपाल के सधर्मा, गोणसेन पण्डित के शिष्य, श्रवणबेलगोलवासी, न्याय के उद्भट विद्वान्। कृतियाँ-अकलंक कृत ग्रन्थों के भाष्य सिद्धिविनिश्चयवृत्ति, प्रमाणसंग्रहालंकार। समय-ई. ९७५-१०२५ <br>([[तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा]], पृष्ठ संख्या ३/४०-४१)। ( | द्रविड़संघ नन्दिगण उरुङ्गलान्वय गुणकीर्ति सिद्धान्त भट्टारक तथा देवकीर्ति पण्डित के गुरु, वादिराज के दादागुरु, श्रीपाल के सधर्मा, गोणसेन पण्डित के शिष्य, श्रवणबेलगोलवासी, न्याय के उद्भट विद्वान्। कृतियाँ-अकलंक कृत ग्रन्थों के भाष्य सिद्धिविनिश्चयवृत्ति, प्रमाणसंग्रहालंकार। समय-ई. ९७५-१०२५ <br>([[तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा]], पृष्ठ संख्या ३/४०-४१)। (<b>देखे </b>[[इतिहास]] ६)।<br>[[Category:अ]] <br>[[Category:सिद्धिविनिश्चय]] <br>[[Category:तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा]] <br> |
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द्रविड़संघ नन्दिगण उरुङ्गलान्वय गुणकीर्ति सिद्धान्त भट्टारक तथा देवकीर्ति पण्डित के गुरु, वादिराज के दादागुरु, श्रीपाल के सधर्मा, गोणसेन पण्डित के शिष्य, श्रवणबेलगोलवासी, न्याय के उद्भट विद्वान्। कृतियाँ-अकलंक कृत ग्रन्थों के भाष्य सिद्धिविनिश्चयवृत्ति, प्रमाणसंग्रहालंकार। समय-ई. ९७५-१०२५
(तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा, पृष्ठ संख्या ३/४०-४१)। (देखे इतिहास ६)।