अपाय: Difference between revisions
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<p | <p> सर्वार्थसिद्धि अध्याय 7/9/347 अभ्युदयनिःश्रेयसार्थानां क्रियाणां विनाशकः प्रयोगोऽपायः। </p> | ||
<p | <p>= स्वर्ग और मोक्षकी क्रियाओका विनाश करनेवाली प्रवृत्ति अपाय है।</p> | ||
<p | <p>राजवार्तिक अध्याय 7/9/1/537 अभ्युदयनिःश्रेयसार्थानां क्रियासाधनानां नाशकोऽनर्थः अपाय इत्युच्यते। अथवा ऐहलौकिकादिसप्तविधं भयमपाय इति कथ्यते।</p> | ||
<p | <p>= अभ्युदय और निःश्रेयसके साधनोंका अनर्थ अपाय है। अथवा इहलोकमय परलोकमय आदि सात प्रकारके भय अपाय हैं।</p> | ||
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Revision as of 16:56, 10 June 2020
सर्वार्थसिद्धि अध्याय 7/9/347 अभ्युदयनिःश्रेयसार्थानां क्रियाणां विनाशकः प्रयोगोऽपायः।
= स्वर्ग और मोक्षकी क्रियाओका विनाश करनेवाली प्रवृत्ति अपाय है।
राजवार्तिक अध्याय 7/9/1/537 अभ्युदयनिःश्रेयसार्थानां क्रियासाधनानां नाशकोऽनर्थः अपाय इत्युच्यते। अथवा ऐहलौकिकादिसप्तविधं भयमपाय इति कथ्यते।
= अभ्युदय और निःश्रेयसके साधनोंका अनर्थ अपाय है। अथवा इहलोकमय परलोकमय आदि सात प्रकारके भय अपाय हैं।