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| == सिद्धांतकोष से == | | <p>1. (म. पु. प्र. 49/पं. पन्नालाल) मगध देश का पूर्व भाग। प्रधान नगर चम्पा (भागलपुर) है। 2. भरत क्षेत्र आर्य खण्ड का एक देश - देखें [[ मनुष्य#4 | मनुष्य - 4]]। 3. ( पद्मपुराण सर्ग 10/12) सुग्रीव का बड़ा पुत्र। 5. 4. ( धवला पुस्तक 5/प्र. 27) Element। </p> |
| <OL start=1 class="HindiNumberList"> <LI> (म. पु. प्र. ४९/पं. पन्नालाल) मगध देश का पूर्व भाग। प्रधान नगर चम्पा (भागलपुर) है। </LI> | | <p>पं. ध./उ./478 लक्षणं च गुणश्चाङ्गं शब्दाश्चैकार्थवाचकाः। </p> |
| <LI> भरत क्षेत्र आर्य खण्ड का एक देश - <b>देखे </b>[[मनुष्य]] /४। </LI>
| | <p>= लक्षण, गुण और अंग ये सब एकार्थवाचक शब्द हैं।</p> |
| <LI> ([[पद्मपुराण]] सर्ग १०/१२) सुग्रीव का बड़ा पुत्र। ५. </LI>
| | <p>• अनुमान के पाँच अंग - देखें [[ अनुमान#3 | अनुमान - 3]]।</p> |
| <LI> ([[धवला]] पुस्तक संख्या ५/प्र. २७) Element। </LI> </OL>
| | <p>• जल्प के चार अंग - देखें [[ जल्प ]]।</p> |
| <p class="SanskritPrakritSentence">पं. ध./उ./४७८ लक्षणं च गुणश्चाङ्गं शब्दाश्चैकार्थवाचकाः। </p> | | <p>• सम्यग्दर्शन, ज्ञान व चारित्र के अंग - देखें [[ वह वह नाम ]]।</p> |
| <p class="HindiSentence">= लक्षण, गुण और अंग ये सब एकार्थवाचक शब्द हैं।</p> | | <p>• शरीर के अंग - देखें [[ अंगोपांग ]]।</p> |
| <UL start=0 class="BulletedList"> <LI> अनुमान के पाँच अंग – <b>देखे </b>[[अनुमान]] /३। </LI> | |
| <LI> जल्प के चार अंग - <b>देखे </b>[[जल्प]] । </LI> | |
| <LI> सम्यग्दर्शन, ज्ञान व चारित्र के अंग - <b>देखे </b>[[वह वह नाम]] । </LI> | |
| <LI> शरीर के अंग - <b>देखे </b>[[अंगोपांग]] । </LI> </UL> | |
| [[Category:अ]]
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| [[Category:पद्मपुराण]]
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| [[Category:धवला]]
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| == पुराणकोष से ==
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| <p id="1">(1) श्रुत । मूलत: ये ग्यारह कहे गये हैं― 1. आचारांग 2. सूत्रकृतांग 3. स्थानांग 4. समवायांग 5. व्याख्याप्रज्ञप्तिअंग 6. ज्ञातृधर्मकथांग 7. उपासकाध्ययनांग 8. अन्तकुद्दशांग 9. अनुत्तरोपपादिकदशांग 10. प्रश्नव्याकरणांग और 11 विपाकसूत्रांग । इनमें दृष्टिवादाग को सम्मिलित करने से ये बारह अंग हो जाते हैं । महापुराण 6.148, 51, 13, हरिवंशपुराण 2.92-15</p>
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| <p id="2"> (2) भरतक्षेत्र के आर्यखण्ड का एक देश । इसकी रचना स्वयं इन्द्र ने की थी । वृषभदेव और महावीर ने विहार कर यहाँ धर्मोपदेश दिये थे । महापुराण 16.152-156, 25.287-288, पांडवपुराण 1. 132-134</p>
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| <p id="3"> (3) रत्नप्रभा नरकभूमि के खरभाग का बारहवां पटल । हरिवंशपुराण 4.52-54 [[ खरभाग | देखें खरभाग ]]</p>
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| <p id="4"> (4) तालगत गान्धर्व का एक भेद । हरिवंशपुराण 19.149-152</p>
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| <p id="5"> (5) सुग्रीव का ज्येष्ठ पुत्र, अंगद का अग्रज और राम के पुत्रों का सहायक योद्धा । राम-लक्ष्मण और राम के पुत्रों के बीच हुए युद्ध में इसने लवणांकुश के सहायक सेनानायक वज्रजंघ का साथ दिया था । पद्मपुराण 10.12, 60.57-59, 102.154-157</p>
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| <p id="6"> (6) प्राणियों के अंगोपांग के स्पर्श अथवा दर्शन द्वारा उनके सुख-दुःख के बोधक अष्टांगनिमित्तज्ञान का एक भेद । महापुराण 62.181 185, हरिवंशपुराण 10. 117, [[ अष्टांगनिमित्तज्ञान | देखें अष्टांगनिमित्तज्ञान ]]।</p>
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| [[ अंकुर | पूर्व पृष्ठ ]] | | [[ अंकुशित | पूर्व पृष्ठ ]] |
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| [[ अंगज | अगला पृष्ठ ]] | | [[ अंगज्ञान | अगला पृष्ठ ]] |
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| [[Category: पुराण-कोष]]
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| [[Category: अ]] | | [[Category: अ]] |
1. (म. पु. प्र. 49/पं. पन्नालाल) मगध देश का पूर्व भाग। प्रधान नगर चम्पा (भागलपुर) है। 2. भरत क्षेत्र आर्य खण्ड का एक देश - देखें मनुष्य - 4। 3. ( पद्मपुराण सर्ग 10/12) सुग्रीव का बड़ा पुत्र। 5. 4. ( धवला पुस्तक 5/प्र. 27) Element।
पं. ध./उ./478 लक्षणं च गुणश्चाङ्गं शब्दाश्चैकार्थवाचकाः।
= लक्षण, गुण और अंग ये सब एकार्थवाचक शब्द हैं।
• अनुमान के पाँच अंग - देखें अनुमान - 3।
• जल्प के चार अंग - देखें जल्प ।
• सम्यग्दर्शन, ज्ञान व चारित्र के अंग - देखें वह वह नाम ।
• शरीर के अंग - देखें अंगोपांग ।
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