आयोपास: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p | <p> भगवती आराधना / मुल या टीका गाथा 462 तस्स आयोपायविदंसी खवयस्स ओघपण्णवओ। आलोचेंतस्स अणुज्जगस्स दंसेइ गुणदोसे ॥462॥</p> | ||
<p | <p>= जो क्षपक उपर्युक्त कारणोंसे दोषोंकी आलोचना करनेमें भययुक्त होता है उसको आयोपाय दर्शन गुणके धारक आचार्य आलोचना करनेमें हानि होती है इसका निरूपण करते हैं।</p> | ||
[[ | |||
[[Category: | |||
<noinclude> | |||
[[ आयोपास | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[ आरंभ | अगला पृष्ठ ]] | |||
</noinclude> | |||
[[Category: आ]] |
Revision as of 16:57, 10 June 2020
भगवती आराधना / मुल या टीका गाथा 462 तस्स आयोपायविदंसी खवयस्स ओघपण्णवओ। आलोचेंतस्स अणुज्जगस्स दंसेइ गुणदोसे ॥462॥
= जो क्षपक उपर्युक्त कारणोंसे दोषोंकी आलोचना करनेमें भययुक्त होता है उसको आयोपाय दर्शन गुणके धारक आचार्य आलोचना करनेमें हानि होती है इसका निरूपण करते हैं।