शलाका पुरुष: Difference between revisions
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एक क्षेत्र में एक ही तज्जातीय शलाका पुरुष होता है।-देखें - [[ विदेह | विदेह ]]/में त्रि.सा.।</li> | एक क्षेत्र में एक ही तज्जातीय शलाका पुरुष होता है।-देखें - [[ विदेह | विदेह ]]/में त्रि.सा.।</li> | ||
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चरम शरीरी चौथे काल में ही उत्पन्न होते हैं।- देखें - [[ | चरम शरीरी चौथे काल में ही उत्पन्न होते हैं।- देखें - [[ जन्म#5 | जन्म / ५ ]]।</li> | ||
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अचरम शरीरी पुरुषों का अकाल मरण भी सम्भव है।- देखें - [[ मरण#4 | मरण / ४ ]]।</li> | अचरम शरीरी पुरुषों का अकाल मरण भी सम्भव है।- देखें - [[ मरण#4 | मरण / ४ ]]।</li> | ||
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Revision as of 18:42, 20 June 2020
तीर्थंकर चक्रवर्ती आदि प्रसिद्ध पुरुषों को शलाका पुरुष कहते हैं। प्रत्येक कल्पकाल में ६३ होते हैं। २४ तीर्थंकर, १२ चक्रवर्ती, ९ बलदेव, ९ नारायण, ९ प्रतिनारायण। अथवा ९ नारद, १२ रुद्र, २४ कामदेव, व १६ कुलकर आदि मिलाने से १६९ शलाका पुरुष होते हैं।
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शलाका पुरुष सामान्य निर्देश
- शलाका पुरुषों की आयु बन्ध योग्य परिणाम।- देखें - आयु / ३ ।
- कौन पुरुष मरकर कहाँ उत्पन्न हो और क्या गुण प्राप्त करे।- देखें - जन्म / ६ ।
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द्वादश चक्रवर्ती निर्देश
- चक्रवर्ती का लक्षण।
- नाम व पूर्व भव परिचय।
- वर्तमान भव में नगर व माता पिता।
- वर्तमान भव शरीर परिचय।
- कुमार कालादि परिचय।
- वैभव परिचय।
- चौदह रत्न परिचय सामान्य।
- चौदह रत्न परिचय विशेष।
- नवनिधि परिचय।
- दश प्रकार भोग परिचय।
- चक्रवर्ती की विभूतियों के नाम।
- दिग्विजय का स्वरूप।
- राजधानी का स्वरूप।
- हुंडावसर्पिणी में चक्रवर्ती के उत्पत्ति काल में कुछ अन्तर।
- चक्रवर्ती के शरीरादि सम्बन्धी नियम।- देखें - शलाका पुरुष / १ / ४ ,५।
- नव बलदेव निर्देश
- नव नारायण निर्देश
- नव प्रतिनारायण निर्देश
- नव नारद निर्देश
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एकादश रुद्र निर्देश
- रुद्र चौथे काल में ही उत्पन्न होते हैं।- देखें - जन्म / ५ ।
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चौबीस कामदेव निर्देश
- कामदेव चौथे काल में ही उत्पन्न होते हैं।- देखें - जन्म / ५ ।
- सोलह कुलकर निर्देश
- भावि शलाका पुरुष निर्देश