न्याय विनिश्चय: Difference between revisions
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Revision as of 16:29, 5 July 2020
आ.अकलंक भट्ट (ई०६२०-६८०) कृत यह न्यायविषयक ग्रन्थ है। आचार्य श्री ने इसे तीन प्रस्तावों में ४८० संस्कृत श्लोकों द्वारा रचकर स्वयं ही संस्कृत में इस पर एक वृत्ति भी लिख दी है। इसके तीन प्रस्तावों में प्रत्यक्ष, अनुमान व प्रवचन ये तीन विषय निबद्ध हैं। इस ग्रन्थ पर आ.वादिराज सूरि (ई०१०१०-१०६५) ने संस्कृत भाषा में एक विशद विवरण लिखा है। (सि.वि./प्र.५८/पं.महेन्द्र) (ती./२/३०९)।