भव्यकूट: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
|
(No difference)
|
Revision as of 16:29, 5 July 2020
समवसरण का दैदीप्यमान शिखरों से युक्त एक स्तूप । इसे अभव्य जीव नहीं देख पाते क्योंकि स्तूप के प्रभाव से उनके नेत्र अन्धे हो जाते हैं । हरिवंशपुराण 57.104