वन्दना: Difference between revisions
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Revision as of 16:30, 5 July 2020
(1) अंगबाह्यश्रुत का तीसरा प्रकीर्णक । इसमें वन्दना करने योग्य परमेष्ठी आदि की वन्दना-विधि बतलायी गयी है । हरिवंशपुराण 2. 102, 10. 130
(2) छ: आवश्यकों में तीसरा आवश्यक । इसमें बारह आवते और चार शिरोनतियाँ की जाती है । हरिवंशपुराण 34.144