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एक मुनि । वसुदेव के सुदूर पूर्वभव के जीव शालिग्राम के एक दरिद्र ब्राह्मण ने अपने मामा की पुत्रियों द्वारा घर से निकाल दिये जाने पर इन्हीं मुनि से धर्म और अधर्म का फल सुनकर दीक्षा ली थी । महापुराण 18. 127-133