गर्भान्वयक्रिया: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
m (Vikasnd moved page गर्भान्वयक्रिया to गर्भान्वयक्रिया without leaving a redirect: RemoveZWNJChar) |
(No difference)
|
Revision as of 16:31, 5 July 2020
उपासक की त्रिविध क्रियाओं में प्रथम क्रिया । इसके अन्तर्गत परभागम में गर्भ से लेकर निर्वाण पर्यन्त ये त्रैपन क्रियाएँ बतायी गयी है― आधान, प्रीति, सुप्रीति, वृत्ति, मोद, प्रियोद्भव, नामकर्म, बहिर्यान, निषद्या, प्राशन, व्युष्टि, केशवाप, लिपिसंख्यानसंग्रह, उपनीति, व्रतचर्या, व्रतावतरण, विवाह, वर्णलाभ, कुलचर्या, गृहीशिता, प्रशान्ति, गृहत्याग, दीक्षाद्य, जिनरूपता, मौनाध्ययनवृत्तत्व, तीर्थकृत्भावना । गुरुस्थानाव्यूपगम्, गणोपग्रहण, स्वगुरुस्थानसंक्रान्ति, नि:संगत्वात्मभावना, योगनिर्वाणसंप्राप्ति, योगनिवार्णसाधन, इन्द्रोपपाद, अभिषेक, विधिदान, सुखोदय, इन्द्रत्याग, अवतार, हिरण्योत्कृष्टजन्मता, मन्दरेन्द्राभिषेक, गुरुपूजोपलम्भन, यौवनराज्य, स्वराज्य, चक्रलाभ, दिग्विजय, चक्राभिषेक, साम्राज्य, निष्कान्ति, योगसन्मह, आर्हन्त्य, तद्विहार, योगत्याग और अग्रनिर्वृति । महापुराण 38. 51-63