अक्षोभ्य: Difference between revisions
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<p id="2">(2) मथुरा के यादववंशी नृप अन्धकवृष्णि और उसकी रानी सुभद्रा का दूसरा पुत्र । समुद्रविजय इसका बड़ा भाई और स्तिमितसागर, हिमवान्, विजय, अचल, धारण, पूरण, अभिचन्द्र और वसुदेव छोटे भाई थे । कुन्ती और माद्री इसकी दो बहिनें थी । हरिवंशपुराण 18.12-15 इसका अपरनाम | <p id="2">(2) मथुरा के यादववंशी नृप अन्धकवृष्णि और उसकी रानी सुभद्रा का दूसरा पुत्र । समुद्रविजय इसका बड़ा भाई और स्तिमितसागर, हिमवान्, विजय, अचल, धारण, पूरण, अभिचन्द्र और वसुदेव छोटे भाई थे । कुन्ती और माद्री इसकी दो बहिनें थी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 18.12-15 </span>इसका अपरनाम अक्षुभ्य था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 31.130 </span>उद्धव, अम्भोधि, जलधि, वामदेव और दृढव्रत इसके पाँच पुत्र थे । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 48.45 </span></p> | ||
<p id="3">(3) समवसरण-भूमि के | <p id="3">(3) समवसरण-भूमि के पश्चिमी द्वार के आठ नामों में पाँचवाँ नाम । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 57.59 </span>देखें [[ आस्थानमण्डल ]]</p> | ||
<p id="4">(4) सौधर्मेन्द्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 25.114 </p> | <p id="4">(4) सौधर्मेन्द्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । <span class="GRef"> महापुराण 25.114 </span></p> | ||
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Revision as of 21:36, 5 July 2020
(1) विजयार्द्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी का अड़तालीसवाँ नगर । महापुराण 19.85, 87
(2) मथुरा के यादववंशी नृप अन्धकवृष्णि और उसकी रानी सुभद्रा का दूसरा पुत्र । समुद्रविजय इसका बड़ा भाई और स्तिमितसागर, हिमवान्, विजय, अचल, धारण, पूरण, अभिचन्द्र और वसुदेव छोटे भाई थे । कुन्ती और माद्री इसकी दो बहिनें थी । हरिवंशपुराण 18.12-15 इसका अपरनाम अक्षुभ्य था । हरिवंशपुराण 31.130 उद्धव, अम्भोधि, जलधि, वामदेव और दृढव्रत इसके पाँच पुत्र थे । हरिवंशपुराण 48.45
(3) समवसरण-भूमि के पश्चिमी द्वार के आठ नामों में पाँचवाँ नाम । हरिवंशपुराण 57.59 देखें आस्थानमण्डल
(4) सौधर्मेन्द्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 25.114