अमरप्रभ: Difference between revisions
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<p>यह वानर वंशका संस्थापक वानरवंशी राजा था। देखें [[ इतिहास#10.13 | इतिहास - 10.13]]।</p> | == सिद्धांतकोष से == | ||
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<p> राजा रविप्रभ का पुत्र, किष्कुपुर का राजा । इसने त्रिकुटेन्द्र की पुत्री गुणवती को विवाहा था । विवाह-मण्डप में चित्रित वानराकृतियों को देख गुणवती के भयभीत होने से उन आकृतियों पर प्रथम तो इसने क्रोध किया पश्चात् मन्त्री द्वारा समझाये जाने पर उन आकृतियों को आदर देने की दृष्टि से मुकुट के अग्रभाग में, ध्वजाओं में, महलों और तोरणों के अग्रभाग में अंकित कराया था । इसने विजयार्ध की दोनों श्रेणियों पर विजय प्राप्त की थी । अन्त में इसने अपने पुत्र कपितकेतु को राज्य सौंपकर वैराग्य धारण कर लिया था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 2.160-200 </span></p> | |||
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Revision as of 21:37, 5 July 2020
== सिद्धांतकोष से ==
यह वानर वंशका संस्थापक वानरवंशी राजा था। देखें इतिहास - 10.13।
पुराणकोष से
राजा रविप्रभ का पुत्र, किष्कुपुर का राजा । इसने त्रिकुटेन्द्र की पुत्री गुणवती को विवाहा था । विवाह-मण्डप में चित्रित वानराकृतियों को देख गुणवती के भयभीत होने से उन आकृतियों पर प्रथम तो इसने क्रोध किया पश्चात् मन्त्री द्वारा समझाये जाने पर उन आकृतियों को आदर देने की दृष्टि से मुकुट के अग्रभाग में, ध्वजाओं में, महलों और तोरणों के अग्रभाग में अंकित कराया था । इसने विजयार्ध की दोनों श्रेणियों पर विजय प्राप्त की थी । अन्त में इसने अपने पुत्र कपितकेतु को राज्य सौंपकर वैराग्य धारण कर लिया था । पद्मपुराण 2.160-200