अष्टांगनिमित्तज्ञान: Difference between revisions
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<p> 1. अन्तरिक्ष 2. भौम 3. अंग 4. स्वर 5. | <p> 1. अन्तरिक्ष 2. भौम 3. अंग 4. स्वर 5. व्यंजन 6. लक्षण 7. छिन्न और 8. स्वप्न इन आठ निमित्तों द्वारा शुभाशुभ का ज्ञान करना । इन आठ अंगो का कत्याणवाद नामक पूर्व में विस्तृत वर्णन किया गया है । <span class="GRef"> महापुराण 62.180-190 </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 10.115-117, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 4.105-106 </span></p> | ||
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Revision as of 21:38, 5 July 2020
1. अन्तरिक्ष 2. भौम 3. अंग 4. स्वर 5. व्यंजन 6. लक्षण 7. छिन्न और 8. स्वप्न इन आठ निमित्तों द्वारा शुभाशुभ का ज्ञान करना । इन आठ अंगो का कत्याणवाद नामक पूर्व में विस्तृत वर्णन किया गया है । महापुराण 62.180-190 हरिवंशपुराण 10.115-117, पांडवपुराण 4.105-106