अंड: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 5: | Line 5: | ||
<noinclude> | <noinclude> | ||
[[ अंजसा | [[ अंजसा | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[ अंडज जन्म | [[ अंडज जन्म | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: अ]] | [[Category: अ]] |
Revision as of 21:38, 5 July 2020
सर्वार्थसिद्धि अध्याय 2/33/189. यन्नखत्वक्सदृशमुपात्तकाठिन्यं शुक्रशोणितपरिवरण परिमण्डलं तदण्डम्।
= जो नखकी त्वचा के समान कठिन है, गोल है, और जिसका आवरण शुक्र और शोणित से बना है उसे अण्ड कहते हैं।
(राजवार्तिक अध्याय 2/33/2/143/32) ( गोम्मट्टसार जीवकाण्ड / गोम्मट्टसार जीवकाण्ड जीव तत्त्व प्रदीपिका| जीव तत्त्व प्रदीपिका टीका गाथा 84/207)