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<p>1. एक यक्ष - देखें [[ यक्ष ]]'; 2. भरतक्षेत्र विन्ध्याचलस्थ एक देश - देखें [[ मनुष्य#4 | मनुष्य - 4]]; 3. भरत क्षेत्रके उत्तरमें मध्यमें मध्यम्लेच्छ खण्डका एक देश - देखें [[ मनुष्य#4 | मनुष्य - 4]]; 4. विजयार्धकी दक्षिणश्रेणी का एक नगर - देखें [[ विद्याघर ]]; 5. पूर्व विदेहका एक क्षेत्र - देखें [[ लोक#5.2 | लोक - 5.2]]।</p> | == सिद्धांतकोष से == | ||
<p>1. एक यक्ष - देखें [[ यक्ष ]]'; 2. भरतक्षेत्र विन्ध्याचलस्थ एक देश - देखें [[ मनुष्य#4 | मनुष्य - 4]]; 3. भरत क्षेत्रके उत्तरमें मध्यमें मध्यम्लेच्छ खण्डका एक देश - देखें [[ मनुष्य#4 | मनुष्य - 4]]; 4. विजयार्धकी दक्षिणश्रेणी का एक नगर - देखें [[ विद्याघर ]]; 5. पूर्व विदेहका एक क्षेत्र - देखें [[ लोक#5.2 | लोक - 5.2]]।</p> | |||
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<p id="1"> (1) लंका में स्थित राक्षसों की निवासभूमि― भानुरक्ष के पुत्रों द्वारा बसाया गया नगर । 5.373-374,6.66-68</p> | |||
<p id="2">2) भरतक्षेत्र मे विंध्याचल पर स्थित भरतेश के भाई द्वारा छोड़ा गया एक देश । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 11.73-74 </span></p> | |||
<p id="3">(3) विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी का विद्याधर के अधीन एक नगर । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 22.95 </span></p> | |||
<p id="4">(4) चक्रवर्ती भरत के समय का एक जनपद । यहाँ के म्लेच्छ राजा ने भरत चक्री के आक्रमण करने पर चिलात के म्लेच्छ राजा से सन्धि कर ली थी । <span class="GRef"> महापुराण 32. 46-48, 76 </span></p> | |||
<p id="5">(5) पश्चिम विदेह क्षेत्र मे प्रवाहित सीता नदी और नील कुलाचल के मध्य प्रदक्षिणा रूप से स्थित आठ देशों में इस नाम का एक देश । यह छ: खण्डों में विभाजित है । <span class="GRef"> महापुराण 63.208, 5.245-246 </span></p> | |||
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Revision as of 21:38, 5 July 2020
== सिद्धांतकोष से ==
1. एक यक्ष - देखें यक्ष '; 2. भरतक्षेत्र विन्ध्याचलस्थ एक देश - देखें मनुष्य - 4; 3. भरत क्षेत्रके उत्तरमें मध्यमें मध्यम्लेच्छ खण्डका एक देश - देखें मनुष्य - 4; 4. विजयार्धकी दक्षिणश्रेणी का एक नगर - देखें विद्याघर ; 5. पूर्व विदेहका एक क्षेत्र - देखें लोक - 5.2।
पुराणकोष से
(1) लंका में स्थित राक्षसों की निवासभूमि― भानुरक्ष के पुत्रों द्वारा बसाया गया नगर । 5.373-374,6.66-68
2) भरतक्षेत्र मे विंध्याचल पर स्थित भरतेश के भाई द्वारा छोड़ा गया एक देश । हरिवंशपुराण 11.73-74
(3) विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी का विद्याधर के अधीन एक नगर । हरिवंशपुराण 22.95
(4) चक्रवर्ती भरत के समय का एक जनपद । यहाँ के म्लेच्छ राजा ने भरत चक्री के आक्रमण करने पर चिलात के म्लेच्छ राजा से सन्धि कर ली थी । महापुराण 32. 46-48, 76
(5) पश्चिम विदेह क्षेत्र मे प्रवाहित सीता नदी और नील कुलाचल के मध्य प्रदक्षिणा रूप से स्थित आठ देशों में इस नाम का एक देश । यह छ: खण्डों में विभाजित है । महापुराण 63.208, 5.245-246