उग्रवंश: Difference between revisions
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<p> सूर्यवंश और चन्द्रवंश के साथ उद्भूत वंश । इस वंश के अनेक नृप वृषभदेव के साथ तपस्या में लगे किन्तु वे तप से भष्ट हो गये थे । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 13.33, 22.51-53 </span>तीर्थंकर वृषभदेव ने हरि, अकम्पन, काश्यप और सोमप्रभ नामक क्षत्रियों को बुलाकर उन्हें चार-चार हजार राजाओं का स्वामी बनाया था । इनमें काश्यप भगवान् से मघवा नाम प्राप्त करके इस वंश का मुख्य राजा हुआ । <span class="GRef"> महापुराण 16.255-257, 261 </span>राजा उग्रसेन न केवल इस वंश का था अपितु वह इसका संवर्द्धक भी था । तीर्थंकर पार्श्वनाथ ने इसी वंश मे जन्म लिया था । <span class="GRef"> महापुराण 71. 145, 73.95 </span></p> | |||
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Revision as of 21:38, 5 July 2020
== सिद्धांतकोष से ==
एक पौराणिक वंश - देखें इतिहास - 10.3।
पुराणकोष से
सूर्यवंश और चन्द्रवंश के साथ उद्भूत वंश । इस वंश के अनेक नृप वृषभदेव के साथ तपस्या में लगे किन्तु वे तप से भष्ट हो गये थे । हरिवंशपुराण 13.33, 22.51-53 तीर्थंकर वृषभदेव ने हरि, अकम्पन, काश्यप और सोमप्रभ नामक क्षत्रियों को बुलाकर उन्हें चार-चार हजार राजाओं का स्वामी बनाया था । इनमें काश्यप भगवान् से मघवा नाम प्राप्त करके इस वंश का मुख्य राजा हुआ । महापुराण 16.255-257, 261 राजा उग्रसेन न केवल इस वंश का था अपितु वह इसका संवर्द्धक भी था । तीर्थंकर पार्श्वनाथ ने इसी वंश मे जन्म लिया था । महापुराण 71. 145, 73.95