एकांतमिथ्यात्व: Difference between revisions
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<p> मिथ्यात्व के पाँच भेदों में एक भेद । द्रव्य और पर्याय रूप पदार्थ में या मोक्ष के साधनभूत अंगों में किसी एक या दो अंगों को जानकर यह समझ लेना कि इतना मात्र ही उसका स्वरूप है इससे अधिक कुछ नहीं यही एकान्त मिथ्यात्व है । महापुराण 62. 296-300</p> | <p> मिथ्यात्व के पाँच भेदों में एक भेद । द्रव्य और पर्याय रूप पदार्थ में या मोक्ष के साधनभूत अंगों में किसी एक या दो अंगों को जानकर यह समझ लेना कि इतना मात्र ही उसका स्वरूप है इससे अधिक कुछ नहीं यही एकान्त मिथ्यात्व है । <span class="GRef"> महापुराण 62. 296-300 </span></p> | ||
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Revision as of 21:38, 5 July 2020
मिथ्यात्व के पाँच भेदों में एक भेद । द्रव्य और पर्याय रूप पदार्थ में या मोक्ष के साधनभूत अंगों में किसी एक या दो अंगों को जानकर यह समझ लेना कि इतना मात्र ही उसका स्वरूप है इससे अधिक कुछ नहीं यही एकान्त मिथ्यात्व है । महापुराण 62. 296-300