एवंभूतनय: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> एक नय । जो पदार्थ जिस क्षण में जैसी क्रिया करता है उस क्षण में उसको उसी रूप में कहना, जैसे जिस समय इन्द्र ऐश्वर्य का अनुभव करता है उसी समय उसे इन्द्र कहना अन्य समय में नहीं । हरिवंशपुराण 58. 41-49</p> | <p> एक नय । जो पदार्थ जिस क्षण में जैसी क्रिया करता है उस क्षण में उसको उसी रूप में कहना, जैसे जिस समय इन्द्र ऐश्वर्य का अनुभव करता है उसी समय उसे इन्द्र कहना अन्य समय में नहीं । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 58. 41-49 </span></p> | ||
<noinclude> | <noinclude> | ||
[[ | [[ एवकार | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[ | [[ एशान | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: ए]] | [[Category: ए]] |
Revision as of 21:39, 5 July 2020
एक नय । जो पदार्थ जिस क्षण में जैसी क्रिया करता है उस क्षण में उसको उसी रूप में कहना, जैसे जिस समय इन्द्र ऐश्वर्य का अनुभव करता है उसी समय उसे इन्द्र कहना अन्य समय में नहीं । हरिवंशपुराण 58. 41-49