कनकध्वज: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
|||
Line 1: | Line 1: | ||
| == सिद्धांतकोष से == | ||
(पा.पु./17/श्लोक) दुर्योधन द्वारा घोषित आधे राज्य के लालच से इसने कृत्या नामक विद्या को सिद्ध करके (150-152) उसके द्वारा पाण्डवों को मारने का प्रयत्न किया, परन्तु उसी विद्या से स्वयं मारा गया(209-19)। | |||
<noinclude> | |||
[[ | [[ कनकद्युति | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[Category:क]] | [[ कनकनन्दि | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | |||
[[Category: क]] | |||
== पुराणकोष से == | |||
<p id="1"> (1) भविष्यत् कालीन चतुर्थ कुलकर । <span class="GRef"> महापुराण 76. 464 </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60.555 </span></p> | |||
<p id="2">(2) एक विद्वान् परलोभी नृप । दुर्योधन द्वारा घोषित आधे राज्य के लोभ से इसने पाण्डवों को सात दिन मे मारने का निश्चय किया था तथा कृत्या नामक विद्या सिद्ध करके इसने उन्हें मारने का प्रयत्न भी किया किन्तु उसी विद्या से यह स्वयं मारा गया । <span class="GRef"> पांडवपुराण 17. 150-152, 209-219 </span></p> | |||
<noinclude> | |||
[[ कनकद्युति | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[ कनकनन्दि | अगला पृष्ठ ]] | |||
</noinclude> | |||
[[Category: पुराण-कोष]] | |||
[[Category: क]] |
Revision as of 21:39, 5 July 2020
== सिद्धांतकोष से == (पा.पु./17/श्लोक) दुर्योधन द्वारा घोषित आधे राज्य के लालच से इसने कृत्या नामक विद्या को सिद्ध करके (150-152) उसके द्वारा पाण्डवों को मारने का प्रयत्न किया, परन्तु उसी विद्या से स्वयं मारा गया(209-19)।
पुराणकोष से
(1) भविष्यत् कालीन चतुर्थ कुलकर । महापुराण 76. 464 हरिवंशपुराण 60.555
(2) एक विद्वान् परलोभी नृप । दुर्योधन द्वारा घोषित आधे राज्य के लोभ से इसने पाण्डवों को सात दिन मे मारने का निश्चय किया था तथा कृत्या नामक विद्या सिद्ध करके इसने उन्हें मारने का प्रयत्न भी किया किन्तु उसी विद्या से यह स्वयं मारा गया । पांडवपुराण 17. 150-152, 209-219