कुन्दकुन्द: Difference between revisions
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<p> सम्पूर्ण श्रुत के विनाश के भय से अवशिष्ट श्रुत को ग्रन्थ रूप में सुरक्षित करने वाले आचार्य भूतबली और पुष्पदन्त के बाद हुए पंचाचार से विभूषित निर्ग्रन्थ आचार्य । इन्होंने पंचम काल में गिरिनार पर्वत के शिखर पर स्थित पाषाण निर्मित सरस्वती देवी को बोलने के लिए बाध्य कर दिया था । पांडवपुराण 1.14, वीरवर्द्धमान चरित्र 1.53-57</p> | <p> सम्पूर्ण श्रुत के विनाश के भय से अवशिष्ट श्रुत को ग्रन्थ रूप में सुरक्षित करने वाले आचार्य भूतबली और पुष्पदन्त के बाद हुए पंचाचार से विभूषित निर्ग्रन्थ आचार्य । इन्होंने पंचम काल में गिरिनार पर्वत के शिखर पर स्थित पाषाण निर्मित सरस्वती देवी को बोलने के लिए बाध्य कर दिया था । <span class="GRef"> पांडवपुराण 1.14, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 1.53-57 </span></p> | ||
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Revision as of 21:39, 5 July 2020
सम्पूर्ण श्रुत के विनाश के भय से अवशिष्ट श्रुत को ग्रन्थ रूप में सुरक्षित करने वाले आचार्य भूतबली और पुष्पदन्त के बाद हुए पंचाचार से विभूषित निर्ग्रन्थ आचार्य । इन्होंने पंचम काल में गिरिनार पर्वत के शिखर पर स्थित पाषाण निर्मित सरस्वती देवी को बोलने के लिए बाध्य कर दिया था । पांडवपुराण 1.14, वीरवर्द्धमान चरित्र 1.53-57