केशवाप: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> गृहस्थ की त्रेपन गर्भान्वय क्रियाओं में बारहवीं क्रिया-किसी शुभ दिन देव और गुरु की पूजा करके शिशु का क्षौरकर्म कराना । इसमें पूजन के | <p> गृहस्थ की त्रेपन गर्भान्वय क्रियाओं में बारहवीं क्रिया-किसी शुभ दिन देव और गुरु की पूजा करके शिशु का क्षौरकर्म कराना । इसमें पूजन के पश्चात् शिशु के बाल गंधोदक से गीले करके उन पर</p> | ||
<p>पूजा के शेष अक्षत रखे जाते हैं । इसके बाद चोटी सहित (अपने कुल की पद्धति के अनुसार) मुण्डन कराया जाता है । मुण्डन के बाद शिशु का | <p>पूजा के शेष अक्षत रखे जाते हैं । इसके बाद चोटी सहित (अपने कुल की पद्धति के अनुसार) मुण्डन कराया जाता है । मुण्डन के बाद शिशु का स्नपन होता है । फिर उसका अलंकरण किया जाता है । शिशु द्वारा मुनियों अथवा साधुओं को नमन कराया नाता है । इसके पश्चात् बन्धु जन शिशु को आशीर्वाद देते हैं । इस मांगलिक कार्य ने सम्बन्धीजन हर्ष पूर्वक भाग लेते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 38.56, 98-101 </span></p> | ||
Line 6: | Line 6: | ||
[[ केशवती | पूर्व पृष्ठ ]] | [[ केशवती | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[ | [[ केशसंस्कारीधूप | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: क]] | [[Category: क]] |
Revision as of 21:39, 5 July 2020
गृहस्थ की त्रेपन गर्भान्वय क्रियाओं में बारहवीं क्रिया-किसी शुभ दिन देव और गुरु की पूजा करके शिशु का क्षौरकर्म कराना । इसमें पूजन के पश्चात् शिशु के बाल गंधोदक से गीले करके उन पर
पूजा के शेष अक्षत रखे जाते हैं । इसके बाद चोटी सहित (अपने कुल की पद्धति के अनुसार) मुण्डन कराया जाता है । मुण्डन के बाद शिशु का स्नपन होता है । फिर उसका अलंकरण किया जाता है । शिशु द्वारा मुनियों अथवा साधुओं को नमन कराया नाता है । इसके पश्चात् बन्धु जन शिशु को आशीर्वाद देते हैं । इस मांगलिक कार्य ने सम्बन्धीजन हर्ष पूर्वक भाग लेते हैं । महापुराण 38.56, 98-101